ऐसी कोई कहानी जिसको पढ़कर आपकी ज़िंदगी में कुछ बदलाव आया हो ? - letsdiskuss
Official Letsdiskuss Logo
Official Letsdiskuss Logo

Language



Blog

Sneha Bhatiya

Student ( Makhan Lal Chaturvedi University ,Bhopal) | Posted on | others


ऐसी कोई कहानी जिसको पढ़कर आपकी ज़िंदगी में कुछ बदलाव आया हो ?


2
0




self employed | Posted on


बात उस समय की है जब मैं २००६ में ऍम.ए. कर रहा था. घर की आर्थिक स्थिति ठीक न होने के कारण प्राइवेट जॉब मैंने २००३ से ही शुरू कर दिया था. पहली जॉब ट्रेक्टर एजेंसी में किया. फिर प्रिंटिंग प्रेस में ३ साल काम किया. सब ठीक चल रहा था पर कही एक जगह बहुत उथल फुथल चल रही थी.. मेरे मन में, जीवन में, क्योकि घर के हालात बहुत अच्छे नहीं थे. आयेदिन कुछ न कुछ दिक्कत परेशानी घर में होती रहती, काम में भी मन नहीं लगता था. एक बड़ा सवाल क्या करूँगा आगे ? कैसे ये सब ठीक करूँगा ? क्या में जीवनभर यही सब करता रहूँगा ? सवाल बहुत सारे थे. बहुत सोचा काम छोड़ दू पढाई करू, नौकरी की तैयारी करू. एक माह बहुत सोचा.. और एक दिन टेंशन गुस्से में आकर काम छोड़ दिया. बस उस दिन से मेरी जिंदगी में और दिक्कते आ गयी.

जब भी घर जाता, घर की स्थिति देखता टूट जाता, जॉब छोड़ने के बाद मेरा परिवार और भी बहुत ज्यादा दिक्कत में आ गया. एक दिन घर में कुछ ऐसा हुआ की दिल बहुत दुःख गया. मैं घर से निकल गया. पूरा दिन घूमता रहा यहाँ वहा.
मैं आपको अपनी एक कमजोरी या कमी बता दू फिर मैं अपने विषय पर वापिस आता हु....
मुझे पढ़ना अच्छा लगता था. मेरी एक सबसे बड़ी कमजोरी बुक्स मैगज़ीन थी. मैं जब भी बाजार जाता तो स्टेशनरी जरूर जाता था. चाहे कुछ लेना हो या न लेना हो और वहां जाकर कुछ कुछ बुक्स मैगज़ीन को एक नजर मैं देखता और यदि मुझे एक लाइन या यूँ कहे एक शब्द भी अगर मेरे काम का मिलता तो मैं वह बुक या मैगज़ीन ले लेता. ये मेरी सबसे बड़ी कमजोरी या कह ले कमी थी, चाहे पैसे बचे या न बचे और तुरंत जाकर पूरी रात में मैं उसे पढ़ लेता.
बहुत बार बुक्स मैगज़ीन लेने के बाद मेरे पास पैसे नहीं होते, पर इस बात के अफ़सोस से ज्यादा उस बुक मैगज़ीन को लेने की खुशी बहुत होती थी. पर बाद में पैसे न होने पर पछताता. अपनी इस कमजोरी के कारण कई बार स्टेशनरी नहीं जाता था क्योकि अगर मैं स्टेशनरी गया तो जरूर कुछ न कुछ ले आता था भले वो पैसे बहुत जरुरी हो. कई बार मम्मी से डाट भी खाया, पैसे खर्च करने पर.
जब भी मेरा मन उदास होता था या मैं टेंशन में होता था में सिर्फ २ काम करता था १ जो सबसे ज्यादा में करता हु अकेले में समय बिताना. अकेले में मैं सबसे ज्यादा समय बीतता हु. २दुसरा अच्छी बुक्स पढ़ाना.
अब मैं अपने विषय पर वापिस आता हु .. हाँ तो मैं कहा था ..
पुरे दिन घूमता रहा घर नहीं गया शाम को मैं एक बार फिर घूमता हुआ न चाहते हुए भी स्टेशनरी गया फिर वहा कुछ कुछ देखने लगा दुकानदार से कहा भइया कुछ बुक्स हो तो दिखाओ पड़ने के लिए मैं बहुत भूखा था जैसे कुछ भी मिल जाये पढने को. दुकानदार ने कहा भाई इतनी ही बुक है देख लो मुझे कुछ भी पसंद नहीं आया क्योकि बुक्स में मुझे मेरे लिए कुछ भी नहीं मिला मेरा चेहरा उतर गया. मैंने काहा भइया बुक्स रख लीजिये और मैं वापिस जाने को जैसे ही मुड़ा उसने कहा रुको घनश्याम! मैं तुम्हे एक बुक देता हु बस इसे ले जाओ. मैंने जैसे ही उस बुक के अंदर की लाइन पड़ी जैसे एक महीने भूखे रहने के बाद खाना मिल गया हो, एकदम से कुछ हुआ अंदर मैंने तुरंत वो बुक ले ली. क्योकि एक ही बुक बची थी
मैं बड़े उल्लाश के साथ वो बुक लेकर घर आ गया और मुँह हाथ धुलकर बिना खाना खाये पढ़ना शुरू कर दिया जैसे ही पढ़ना शुरू किया बुक में रूचि बढ़ती गयी और जैसे जैसे आगे बढ़ाते गया रूचि और भी आगे बढ़ती गयी और बुक पढ़ने में बहुत मजा आने लगा जैसे में सफर कर रहा हूँ और अचानक.... जब में उसकी कहानी के अंत की तरफ बढ़ने लगा नहीं पता मुझे क्या होने लगा और फिर मैं अचानक........ मेरे रोंये रोंये खड़े होने लगे दिल मैं अजीब सी घबराहट शुरू हो गयी दिल जोर जोर से धड़कने लगा और अचानक मेरी आँखों मैं आंसू बाहर आने लगे मैं जोर जोर से अंदर से रोने लगा.. आंसू रुक नहीं रहे थे, मैं उस पल को शब्दों मैं बता नहीं सकता की मैं कैसा महसूस कर रहा था पर जो मेरे साथ हुआ था उस पल वो अनमोल था और आंसू अभी थी नहीं रुक रहे थे शायद कुछ ऐसा पा लिए था जिसकी तलाश सिर्फ मुझे थी या वो मेरे सभी सवालो का मात्र के जबाब था मेरे सभी सवाल ख़त्म हो गए थे
अब मेरी दुनिया बदल चुकी थी, मेरी सोच बदल चुकी थी, मेरे सवाल ख़त्म हो चुके थे मैं बहुत ज्यादा जोश से भर गया था मेरे सीने में एक नयी आग जल चुकी थी मैं अब वो नहीं था... एक आग सीने में धधक रही थी कुछ कर गुजरने की और मैंने उसी वक़्त थाना की मैं कलेक्टर बनूँगा और आई ए एस अफसर की तैयारी करूँगा और इस समाज से गरीबी को उखाड़कर फेख दूंगा और अपने घर की स्तिथि को समाज की स्तिथि को बदलूंगा और मैंने उस दिन से ये बात ठान ली की अब मैं सिर्फ और सिर्फ पढ़ाई करूँगा और आई ए एस अफसर बनूँगा और माता पिता का सबका नाम रोशन करूँगा और फिर मैंने पुरे १ साल पुरे जोश से सबकुछ भुला कर आई ए एस की तैयारी की.
इस पुस्तक ने मेरे रोम रोम में मेरी नसों में एक ऐसी जो आग लगा दी जिससे मेरी दुनिया ही बदल गयी. जीवन में देखने का नजरिया ही बदल गया और उससे भी कही ज्यादा हार न मानने की जिद गिर कर दोबारा उठ खड़े होने का साहस दिया है.
यह मेरे जीवन का सबसे बड़ा और सबसे पहला टर्निंग पॉइंट था .. उस दिन के बाद मैं फिर कभी नहीं हारा.. और ना कभी हार मानूंगा..
..जिसने मेरी जिंदगी बदल दी उस पुस्तक का नाम है - "दुनिया का सबसे महान सेल्समेन". लेखक- आग मैग्ङिनो
थैंक्स!

और पढ़े- ज़िंदगी में खुश रहने के पांच तरीके क्या है ?


3
0