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Medha Kapoor

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ईद के दिन बकरे की कुर्बानी क्यों दी जाती हैं ?


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आज हम आपको यहां पर बताएंगे कि आखिर ईद के दिन बकरे की कुर्बानी क्यों दी जाती है। ईद का त्यौहार पूरे भारतवर्ष में बहुत ही धूमधाम के साथ मनाया जाता है। लेकिन क्या आपने कभी सोचा है कि आखिर ईद के दिन बकरे की कुर्बानी ही क्यों दी जाती है किसी और जानवर की क्यों नहीं। आइए इसके पीछे का कारण जानते हैं दरअसल यह कहानी हजरत इब्राहिम से जुड़ी हुई है एक बार की बात है अल्लाह इब्राहिम की निष्ठा को परखने का फैसला लिया तभी एक रात को अल्लाह इब्राहिम के सपने में आए और इब्राहिम से कहने लगे कि तुम अपने दिल से जुड़ी किसी चीज की मुझे कुर्बानी दे सकते हो तभी इब्राहिम ने फैसला लिया और अपने बेटे की कुर्बानी के लिए तैयार हो गया जब सुबह उसने अपने बेटे का गला काटने के लिए लाया तो अपनी आंखों में पट्टी बांध लिया तभी अल्लाह ने उसके बेटे की जगह बकरी को खड़े कर दिए। तभी से ईद के दिन बकरे की कुर्बानी दी जाने लगी।Letsdiskuss


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Delhi Press | Posted on


वैसे तो देखा जाये किसी भी त्यौहार पर जानवर की कुर्बानी देना सही नहीं हैं | चाहे वो किसी भी धर्म का त्यौहार हो पर जानवर की कुर्बानी सही नहीं हैं | फिर भी ईद के दिन बकरे की कुर्बानी दी जाती हैं | पहले तो आपको बताते हैं, कि बकरीद कब मनाई जाती हैं | बकरीद को ईद-उल-अजहा भी कहा जाता हैं |

धू-अल-हिजाह जो इस्लामिक कैलेंडर के अनुसार आखिरी महीना होता है, उस आखरी माहिए के 8 दिन से हज शुरू होकर उसी महीने के 13 दिन खत्म होता है, और ईद-उल-अजहा इस इस्लामिक महीने के बीच की 10 तारीख को मनाया जाता है | हमारे कैलेंडर के हिसाब से बकरीद की तारीख कभी भी बदलती रहती हैं |

बकरीद मानाने का विशेष कारण पैगंबर हजरत इब्राहिम का अल्लाह के प्रति की जाने वाली इबादत से हैं | कह सकते हैं, कि बकरीद पैगंबर हजरत इब्राहिम द्वारा अल्लाह के लिए अपने बेटे इस्माइल की दी कुर्बानी की याद में मनाया जाता हैं | पैगंबर हजरत इब्राहिम अल्लाह पर बहुत विश्वाश करते थे, एक बार अल्लाह ने उनकी परीक्षा लेने के लिए उनसे कहा कि वो अगर अल्लाह को मानते हैं, तो अपनी सबसे कीमती चीज़ की बलि दें |

पैगंबर हजरत इब्राहिम को अपने बेटे इस्माइल से बहुत प्यार था | वह अपने बेटे की बलि देने के लिए तैयार हो गए | जब वो इस्माइल की बलि दे रहे थे तब उन्होंने अपने आँखों में पट्टी बाँध ली ताकि वो अपने बेटे को देख कर भावुक न हो जाएं | उनकी अल्लाह के प्रति यह भावना देख कर कुर्बानी के लिए उनके बेटे की जगह एक बकरा वहाँ आ गया और उसकी बलि दी गई |

तब से लेकर अब तक ईद के दिन बकरे की कुर्बानी दी जाती हैं | वैसे ईद भी 2 बार आती हैं, एक मीठी ईद भी होती हैं |

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(Courtesy : Lokmatnews.in )


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