head cook ( seven seas ) | Posted on | astrology
छठ पूजा का बहुत बड़ा और अपना ही एक महत्व है । यह मुख्यता बिहारियों का त्यौहार होता है और जो बहुत ही महत्वपूर्ण होता है । दीवाली के बाद यह त्यौहार आता है । इस दिन घर में साफ़ सफाई करते हैं और सात्विक भोजन करने के बाद ही छठ पूजा शुरू हो जाती है । आज आपको छठ पूजा की विधि और पूजन के बारें में बताते हैं ।
और पढ़े- छठ पूजा क्यों की जाती है ?
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दिवाली के 6 दिन बाद बिहारीयों के द्वारा एक विशेष पूजा की जाती है। जिसे छठ पूजा के नाम से जाना जाता है। छठ पूजा का पर्व लगातार तीन दिन तक चलता है इस पर्व में सूर्य देव की पूजा की जाती है। और फिर छठ मैया की भी आराधना की जाती है। तो चलिए आज हम आपको छठ पूजा की विधि बताते हैं।
छठ पूजा की विधि:-
जो व्यक्ति छठ पूजा करता है उसे छठ पूजा वाले दिन सुबह ब्रह्म मुहूर्त में उठकर स्नान कर लेना चाहिए। इसके बाद हमें अपने मन में छठ व्रत का संकल्प लेना चाहिए।इसके बाद सूर्य देव और छठी मैया का ध्यान करना चाहिए।और अन्न के सेवन से बचना चाहिए।छठ के पहले दिन संध्या के समय सूय को अर्घ्य देने का विधान है जिसे संध्याकाली अर्घ्य भी कहा जाता है। इस प्रक्रिया में डूबते सूर्य को अर्घ्य दिए जाने का विधान है।और फिर छठ पूजा वाले दिन सूर्यास्त होने से पहले छठ घाट पर पहुंच जाना चाहिए और फिर से स्नान करना चाहिए।और फिर इसके बाद सूर्य भगवान को अर्ध्य देने के लिए बस का प्रयोग करना चाहिए। इस प्रकार आपकी पूजा संपन्न हो जाती है।
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हिंदू धर्म में हर व्रत और त्योहारो का अलग ही महत्व है। हम सभी मिलकर हर व्रत को भी एक त्योहारो की तरह ही मनाते हैं चाहे वह करवाचौथ हो, हरतालका तीज हो या फिर छठ की पूजा हो।छठ पर्व को बहुत ही शुभ और पवित्र माना जाता है। इसमे सूर्य देव के साथ छठी मैया की भी पूजा की जाती हैं। चार दिनों तक चलने वाले इस पर्व में कई तरह के प्रसाद बनते हैं। पहले दिन नहाय खाय, दूसरे दिन खरना और बाकी दो दिन छठ पूजा की जाती हैं। खरना के बाद 36 घंटे का निर्जला व्रत रखा जाता है।
छठ व्रत की शुरुआत कैसे करे :-छठ देवी भगवान सूर्य देव की बहन है। छठी मैया को प्रसन्न करने के लिए भगवान सूर्य की अराधना की जाती हैं। छठी मैया का ध्यान करते हुए लोग माँ गंगा, यमुना या किसी भी नदी के किनारे इस पूजा को करते है तथा नदी में ही स्नान करते है यह बहुत जरूरी है। इस व्रत को करने से पहले घर को अच्छे से साफ किया जाता हैं। चार दिन तक शुद्ध शाकाहारी भोजन बनाया जाता हैं। खरना के पश्चात तीसरे दिन सूर्य को संध्या अर्ध्य देकर चौथे दिन उदियमान सूर्य को उषा अर्ध्य देकर व्रत संपन्न करते है।
अनुष्ठान विधि :-सर्वप्रथम सूर्योदय से पहले उठे। किसी भी नदी, तालाब या झील में स्नान करे। स्नान के बाद नदी के किनारे खड़े होकर सूर्यदेव को सूर्योदय के समय नमन करे तथा पूजन करे। शुद्ध घी का दीपक जलाये तथा पुष्प अर्पित करे छठ पूजा में सात प्रकार के फूल, चंदन, तिल , चावल, आदि से युक्त जल को सूर्य को अर्पण करे और छठ व्रत का संकल्प लें। पुरा दिन निर्जला रहे और ध्यान करते रहे। सूर्यास्त के समय घाट पर पहुँच कर फिर से संध्या सूर्य की पूजन कर अर्ध्य दे और पूजन पूरा कर सूर्य देव और छठी मैया से मनवांछित फल की कामना करते हुए व्रत पूर्ण करे।
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दोस्तों क्या आप जानते है कि छठ माता की पूजा विधि क्या है।छठ पूजा के नाम से जाना जाता है। छठ पूजा का पर्व लगातार तीन दिन तक चलता है इस पर्व में सूर्य देव की पूजा की जाती है। और फिर छठ मैया की भी आराधना की जाती है।जो व्यक्ति छठ पूजा करता है उसे छठ पूजा वाले दिन सुबह ब्रह्म मुहूर्त में उठकर स्नान कर लेना चाहिए। इसके बाद हमें अपने मन में छठ व्रत का संकल्प लेना चाहिए।छठ पूजा को लेकर विशेष नियम होते हैं और इन नियमों का पालन करते हुए यह त्योहार पूरे हर्ष और उल्लास के साथ मनाया जाता है।
छठ पूजा की साम्रगी -
छठ पूजा की विधि -
छठ पर्व की पूजा में सूर्य भगवान और छठी माता की पूजा की जाता है। व्यक्ति छठ पूजा करता है उसे छठ पूजा वाले दिन सुबह ब्रह्म मुहूर्त में उठकर स्नान कर लेना चाहिए। इसके बाद हमें अपने मन में छठ व्रत का संकल्प लेना चाहिए।इसके बाद सूर्य देव और छठी मैया का ध्यान करना चाहिए।और अन्न के सेवन से बचना चाहिए।छठ के पहले दिन संध्या के समय सूय को अर्घ्य देने का विधान है इस खीर का प्रसाद सबसे पहले व्रत वाले व्यक्ति को खिलाए जाता है और उसके बाद ब्राम्हणों और परिवार के लोगों को दिया जाता है ।
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दिवाली के 6 दिन बाद बिहारीयों के द्वारा एक विशेष पूजा की जाती है। यह पूजा बिहारी के लिए बहुत ही महत्वपूर्ण होती है। जिसे छठ पूजा के नाम से जाना जाता है। छठ पूजा का पर्व लगातार तीन दिन तक चलता है इस पर्व में सूर्य देव की पूजा की जाती है। और फिर छठ मैया की भी आराधना की जाती है। तो चलिए आज हम आपको छठ पूजा की विधि बताते हैं।
कार्तिक शुक्ल की छटवीं के दिन घर में बड़ी सफाई से कई तरह के पकवान बनाया जाता हैं, और सूर्यास्त के समय सारे पकवान को बांस के सुपे में भर कर अपने निकट के घाट पर ले जाते हैं । और नदियों में गन्ने का घर जैसा बनाकर उन पर दीप भी जलाये जाते है। जो लोग व्रत लेते हैं वो सारे जल में स्नान कर इन डालों को अपने हाथों में उठाकर छठी माता और सूर्य को जल चढ़ाते हैं । सूर्यास्त के बाद अपने-अपने घर आते हैं और घर वापस आकर अपने परिवार के साथ रात भर सूर्य देवता का ध्यान किया जाता है।
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आप छठ माता की पूजा विधि जानना चाहते हैं तो चलिए हम आपको विस्तार से इसकी जानकारी देते हैं:-
दोस्तों मैं आपको बता दूं कि छठ का पर्व बिहार, उत्तर प्रदेश, और झारखंड में सबसे अधिक उल्लास और श्रद्धा के साथ मनाया जाता है। क्योंकि ऐसी मान्यता है कि इस व्रत को करने से सूर्य देव और छठी मैया का आशीर्वाद प्राप्त होता है। और जो छठ का व्रत पूरी श्रद्धा भाव के साथ करता है उसकी हर मनोकामना सूर्य देव पूरी करते हैं। यदि आप भी छठ व्रत करना चाहते हैं तो चलिए आज हम आपको छठ व्रत करने की पूरी विधि बताते हैं।
सबसे पहले मैं आपको बताने वाली हूं कि छठ पूजा के लिए कौन-कौन सी सामग्रियों की आवश्यकता पड़ती है:-
दोस्तों छठ पूजा करने के लिए बांस की टोकरी, सूप, नारियल,अक्षत, पत्ते लगे गन्ने, सिंदूर, दीप,धूप, थाली, नए वस्त्र, लोटा ,नारियल पानी भरा,अदरक का हरा पौधा, फल, कलश,पान, सुपारी,कुमकुम आदि।
चलिए अब हम आपको छठ पूजा की विधि बताते हैं:-
दोस्तों यदि आप छठ पूजा करना चाहते हैं तो सबसे पहले छठ पूजा के दिन सुबह ब्रह्म मुहूर्त में उठे इसके बाद स्नान करें, स्नान करने के बाद व्रत का संकल्प ले, संकल्प लेते वक्त सूर्य देव और छठी मैया का ध्यान करें, जो व्यक्ति छठ पूजा व्रत करता है उसे उस दिन अन्य ग्रहण नहीं करना होता। मैं आपको बता दूं की छत के पहले दिन संध्या काली अर्ध्य होता है जिसमें डूबते हुए सूर्य को अर्ध्य दिया जाता है। इसलिए छत वाले दिन सूर्यास्त होने से पहले घाट पर पहुंचे और वहां स्नान करने के बाद सूर्य को पूरी निष्ठा के साथ अर्ध्य दे। दोस्तों मैं आपको बता दूं कि इस दिन सूर्य देव को अर्ध्य देने के लिए बस या पीतल की टोकरी का ही उपयोग करें। दोस्तों छठ पूजा के दिन और रात भर निर्जला व्रत रखा जाता है और अगले दिन सुबह उगते हुए सूर्य को जल अर्पित करें। और सूर्य देव को अर्ध्य देते वक्त मन ही मन में उनसे अपनी मनोकामना कहे।
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