डेरिवेटिव्स शेयर मार्किट में वायदा कारोबार को कहते हैं | इसका अर्थ होता है भविष्य के लेन देन का निर्धारण आज के एक निश्चित मूल्य पर करना | यह दो पक्षों के बीच वह अनुबंध/ वायदा है जो किसी एसेट के मूल्य से अपना मूल्य निर्धारित करता है | डेरिवेटिव वायदा, विकल्प, फॉरवर्ड और स्वैप प्रकार का होता है | डेरीवेटिव का अपना मूल्य किसी अन्य फाइनेंस एसेट जैसे स्टॉक, बॉन्ड, कमोडिटीज, मुद्राएं, ब्याज दरें और बाजार सूचकांक आदि पर निर्भर करता है | डेरिवेटिव अक्सर तेल, गैसोलीन या सोने जैसे वस्तुओं के लिए भी उपयोग किया जाता है | डेरिवेटिव्स ज्यादातर कमोडिटी में होता है |
शेयर्स, स्टॉक्स के विपरीत डेरिवेटिव्स कारोबार में कोई डिलीवरी नहीं होती और सिर्फ मूल्य के अंतर के आधार पर डेरिवेटिव्स का सेटलमेंट किया जाता है | जैसे मान लीजिये आज निफ्टी 6500 पॉइंट्स पर है और मैं कहता हूँ की निफ्टी एक महीने बाद 7000 पॉइंट्स पर होगी और सेलर के साथ मैं 6800 पॉइंट्स पर 50 यूनिट खरीदने का अनुबंध कर लेता हूँ तो एक महीने बाद चाहे निफ्टी 7500 पर पहुँच जाये सेलर को निफ्टी मुझे 6800 पॉइंट्स पर देनी होगी | इस प्रकार मैं फायदे में रहूँगा |
वैसे ही मान लीजिये आज मैं सोना एक निर्धारित मूल्य पर खरीदने का करार करता हूँ तो चाहे सोने की कीमत कितनी भी बढ़ जाये सेलर को मुझे सोना उसी रेट पर बेचना होगा | हालाँकि डेरिवेटिव्स में एक्चुअल डिलीवरी नहीं होती और सिर्फ सेटलमेंट होता है | जैसे यहाँ फायदा होने पर मेरे पास 50 यूनिट्स निफ्टी 6800 पॉइंट्स कि होंगी और सोना एक निर्धारित मूल्य हा होगा |