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Rahul Mehra

System Analyst (Wipro) | Posted on | Astrology


ग्रहों के ऋण क्या होते हैं, इनके क्या प्रभाव होते हैं ?


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मानव जीवन में कई ऐसी ऋण होते हैं, जिनके बारें में मनुष्य जानता तक नहीं | जैसा कि कहा जाता हैं, अगर किसी से क़र्ज़ हमारे बड़ों ने लिया हो, तो उस क़र्ज़ को उनके बच्चों को भी चुकाना होता हैं, उसी प्रकार कई ऋण ऐसे होते हैं, जो हमारे बड़ों ने लिएहोते हैं, और उनका भुक्तान उनके बच्चों को करना पड़ता हैं |


अब बात करते हैं ग्रह ऋण की, आखिर ये ग्रहों के ऋण क्या होते हैं ?

कुंडली में कौन सा ग्रह किस स्थान पर हैं, या फिर ये कह सकते हैं, कि कुंडली में ग्रह का भावमनुष्य के ग्रह ऋण का ज्ञान करवाता हैं |

कौन कौन से ऋण हैं :-

स्वयं ऋण :-
ये स्वयं का ऋण होता हैं, इस तरह के ऋण में मनुष्य ऐसे ऋण के अधीन होता हैं, जो उसको पता भी नहीं होते अर्थात ऐसी कोई ग़लती उस मनुष्य से होती हैं, जिसके बारें में वो जानता ही नहीं | यह ग़लती मनुष्य से अनजाने में हो जाती हैं | जब किसी मनुष्य के पांचवें भाव में शुक्र बैठा हो तो यह स्वयं का ऋण कहलाता हैं |

माता ऋण :-
जब कोई मनुष्य अपनी माता की सेवा नहीं करता , उन्हें कष्ट देता हैं, उनकी बात नहीं सुनता , उन्हें उनकी बातों का जवाब देता हैं, तब इस प्रकार की ग़लती को माता ऋण कहा जाता हैं | इस तरह के ऋण में मनुष्य के चौथे भाव में केतु बैठा होता हैं |

पिता ऋण :-
पिता ऋण, माता ऋण के जैसा ही होता हैं, क्योकि जिस तरह माता का ऋण कोई नहीं चुका सकता उसी प्रकार पिता का ऋण भी कोई कभी नहीं चुका सकता | जो मनुष्य अपने पिता को खुद से कम समझदार समझते हैं, हर जगह उनकी और उनकी कही बातों की आलोचना करते हैं, ऐसे लोग अपने सिर पिता ऋण लेते हैं | जिन लोगों की कुंडली के दूसरे,पांचवें और बारवें स्थान पर शुक्र,बुध,राहु विराजमान होता हैं, ऐसी लोग पिता ऋण से ग्रसित होते हैं |

स्त्री ऋण :-
ऐसे व्यक्ति जो स्वयं अपने ऐश्वर्य में,अपने पसंद के खाने पीने,में रहते हैं,और अपनी पत्नी को हमेशा दुखी करते हैं,उन्हें भोजन के लिए तरसाते हैं, ऐसे लोग स्त्री ऋण में फसे होते हैं | ऐसे लोगों की कुंडली में दूसरे और सातवें भाव में सूर्य,राहु और चन्द्रमा बैठा होता हैं |

यह कुछ ग्रह ऋण होते हैं, जो मनुष्य की कुंडली में स्थापित ग्रहों की स्थिति के अनुसार होते हैं |

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क्या रत्न और पत्थर वास्तव में प्रभावशाली होते हैं, ये जानने के लिए नीचे link पर Click करें :-



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शायद आपको ग्रहो के ऋण के बारे में मालूम नहीं होगा और इनका प्रभाव क्या होता है चलिए हम आपको इसकी पूरी जानकारी देते हैं। सबसे पहले जानते हैं कि ग्रहों का ऋण क्या होता है। इसके लिए हम आपको एक उदाहरण के तौर पर बताते हैं जिस प्रकार यदि किसी के घर में कोई बुजुर्ग कर्ज लेता है और उसे नहीं चुका पाता है तो उसका कर्ज उसके बच्चों को चुकाना पड़ता है ठीक उसी प्रकार ग्रह का ऋण यदि किसी के घर में बड़े बुजुर्ग नहीं चुका पाता है तो उसका ऋण उसके बच्चों को चुकाना पड़ता है इसे ही ग्रहों का ऋण कहते हैं।

अब जानते हैं कि गृह के ऋण का क्या प्रभाव है,

ऋण पांच प्रकार के होते हैं पहले है स्वयं ऋण दूसरे नंबर पर आता है मातृ ऋण, तीसरे नंबर पर आता है पितृ ऋण,और चौथे नंबर पर आता है स्त्री ऋण।

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