हिंदी है हम ! हिंदी हैं हम ! हिंदी है हम !
वतन है हिन्दुस्तां हमारा |
आज 14 सितम्बर के दिन विश्व हिंदी दिवस है | हिंदी भारत की मातृभाषा है और हिंदी दिवस हिंदी भाषा के सम्मान व आदर में मनाया जाता है | हिंदी दिवस के विषय में बात करते समय हम हिंदी के इतिहास, वर्तमान और भविष्य की चर्चा न करें तो हिंदी के महत्त्व को सही प्रकार से स्पष्ट नहीं कर पाएंगे | इसलिए आइये हिंदी के महत्व के विषय में चर्चा करें |
हिंदी का इतिहास
हिंदी का इतिहास बहुत पुराना है, हिंदी को पहले हिंदवी कहा जाता था और समयांतराल के साथ इसका नाम हिंदी पड़ा | हिन्दुस्तान में अंग्रेजो के आने से पहले हिंदी के साथ-साथ संस्कृत, उर्दू और फ़ारसी बोली जाती थी | अन्य क्षेत्रीय भाषाएँ भी हैं जो भारत में बोली जाती है | हिंदी भारत के अतिरिक्त पाकिस्तान, बांग्लादेश और श्रीलंका में भी बोली जाती है |
हिंदी के महत्व को बढ़ाने वाले साहित्यकार थे जिन्होंने हिंदी को भारत में सर्वश्रेठ स्थान दिया | रामचंद्र शुक्ल, प्रेमचंद्र, द्विवेदी आदि ऐसे लेखक अथवा साहित्यकार थे जिन्होंने भारतीय साहित्य में हिंदी को एक महत्वपूर्ण स्थान प्रदान करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई | हिंदी के इतिहास में हिंदी का महत्व इसी बात से पता चलता है कि लोग जो पढ़ लिख भी नहीं सकते थे उन्होंने विशेषतः हिंदी कि किताबे पढ़ने के लिए हिंदी सीखी, जिससे कि वह अपनी मनपसंद साहित्यिक रचनाओं का आनंद उठा सकें |
हिंदी का वर्तमान में महत्व
हिंदी के वर्तमान में महत्व के विषय पर बात करें तो यह अत्यधिक वाद विवाद के रूप में सामने आता है | आज कहीं न कहीं भारत में अंग्रेजी का बोलबाला है | लोग हिंदी और अंग्रेजी के बीच में अधिकतर अंग्रेजी को ही चुनना चाहते हैं | हिंदी एक वह भाषा बनकर रह गयी है जिसका ज्ञान केवल हिंदी विषय में पढ़ाई करने वाले छात्र लेना चाहते है | इसके अलावा हिंदी के ज्ञान से परिपूर्ण व्यक्ति और अंग्रेजी के ज्ञान से परिपूर्ण व्यक्ति के मध्य बहुत बड़ा भेद है जिसे कम करना असंभव प्रतीत होने लगा है |
हिंदी का महत्व अब भी बहुत अधिक है परन्तु इसके महत्व को समझने में लोग असमर्थ हैं | हिंदी साहित्य कि किताबे लाइब्रेरी में धूल खाती नज़र आती हैं और अंग्रेजी कि किताबे बहुत ही शान से लोगो के इंस्टाग्राम की स्टोरी व पोस्ट में छाई रहती है | हिंदी साहित्य के ज्ञान से आज के पढ़े लिखे युवा पल्ला झाड़ते दिखते हैं और अंग्रेजी के लिए तो समझो उनकी जान भी हाज़िर है |
हिंदी का भविष्य
हिंदी का भविष्य सचमुच अन्धकार में है | आज ही हिंदी की मान्यता दिन प्रतिदिन कम होती जा रही है तो भविष्य में हम क्या सोचकर यह कहे की हिंदी का ह्यस नहीं होगा | लोग अपने बच्चो पर अंग्रेजी भाषा का प्रभाव हिंदी से अधिक चाहते हैं और आज से 20 साल बाद शायद गाँव के बच्चे भी अंग्रेजी ही बोलने लगेंगे | लोगो का अंग्रेजी सीखना बुरा नहीं है परन्तु उनका हिंदी को एक तुच्छ भाषा के रूप में देखना गलत है | वो दिन दूर नहीं जब हिंदी बोलने वालो की संख्या मराठी या बंगाली बोलने वालों से भी कम होगी |
हिंदी और अंग्रेजी के बीच यह कोई वाद विवाद नहीं है परन्तु अंग्रेजी के बोलबाले ने हिंदी के महत्व को खत्म करने का कार्य किया है | हिंदी का महत्व आज भी उतना ही है जितना पहले था बस इसके महत्व को नज़रअंदाज़ करके इसकी प्रासंगिकता खत्म की जा रही है | लोगो को अंग्रेजी, कोई दूसरी भाषा ही समझनी चाहिए, किसी के पढ़े लिखे होने का या समझदार होने का पैमाना नहीं | यदि लोगो की मानसिकता हिंदी के प्रति भी सुधर जाए तो शायद हिंदी को वह स्थान प्राप्त होगा जो उसे होना चाहिए |