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1866 में साइकिल में एक और बदलाव किया गया इस बदलाव में साइकिल को अधिक गतिमान बनाने के लिए इसके आगे वाले पहिये को अधिक बड़ा कर दिया गया और इसका आकार कुछ ऐसा था जिसमे चालक बैठ भी नहीं सकता था। आप यह जान के हैरान हो जायेंगे की इस साइकिल का आगे का पहिया 5 फुट का था। वेलोसिपेडे एक बहुत अमीर व्यक्ति थे जिन्होंने इस आविष्कार को बढ़ाने में उस समय बहुत पैसा लगाया।
यह बदलाव इतना सफल नहीं हुआ क्योँकि इस साइकिल को चलाने में चालक को बहुत कठिनाई का अनुभव होता था। चलाने से ज्यादा इस साइकिल को रोकने में ज्यादा तकलीफ होती थी क्योंकि उस समय साइकिल में ब्रेक नहीं थे।
उस समय लोगों को साइकिल चलाते समय गंभीर चोटें भी आ जाती थी जो की एक आम सी बात हो गयी थी। 1895 में जॉन केम्प स्टारले द्वारा निर्मित साइकिल में इन सभी बातों का ख्याल रखा गया था और यह बिलकुल अलग डिज़ाइन था जो लोगों ने पहले नहीं देखा था। आज के इस दौर में यह बातें कुछ अजीब सी लगती हैं लेकिन एक समय था जब लोग इन सामान्य सी दिखने वाली चीज़ों के लिए भी बहुत श्रम करते थे।
कहते हैं ना आवश्यकता ही आविष्कार की जननी होती है उसी प्रकार यहाँ भी हुआ, लोगों को जिस प्रकार असुविधा होती गयी इस प्रयोग में भी सुधार होता चला गया।
उम्मीद है जागरूक पर साइकिल का इतिहास कि ये जानकारी आपको पसंद आयी होगी और आपके लिए फायदेमंद भी साबित होगी।
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(BBA) in Sports Management | Posted on
भले ही आज सड़कों पर बड़ी बड़ी गाड़ियां बाइक और टैक्सी नज़र आते हो मगर एक वक़्त था जब साइकिल एक आम आदमी के यातायात का साधन हुआ करती थी और हमेशा से साइकिल का इतिहास बड़ा ख़ास रहा हैं | यह एक ऐसा वाहन हैं जिसे चलाने से ना तो कोई प्रदुषण होता हैं या यह रखने के लिए आपको बड़ी सी पार्किंग की जरुरत हैं | तो चलिए आपको बताते हैं के साइकिल का क्या इतिहास रहा हैं |
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