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धर्म ग्रंथों के अनुसार 8 तरह की सिद्धि होती हैं। हनुमान चालीसा में अष्ट सिद्धि और नव निधि के दाता हनुमान जी को कहा गया है। अर्थ और हनुमान जी अष्ट सिद्धि और नव निधि देने वाले भगवान है। सिद्धि का मतलब होता है, किसी कार्य में सफल होने की अनुभूति होती है।
हनुमान चालीसा के अनुसार, ‘अष्ट सिद्धि नव निधि के दाता, असवर दीन जानकी माता’ इसका अर्थ है कि हनुमानजी आठ सिद्धियों और नौ निधियों को देनेवाले हैं। माता सीता ने उन्हें ऐसा आशीर्वाद दिया था। सिद्धि का अर्थ होता है किसी कार्य की पूर्णता और उसकी सफलता की अनुभूति होना। यह अनुभव जीवन की पूर्णता को प्राप्त करने का माध्यम है।
सिद्धि हासिल करने वाला इंसान कई तरह की शक्तियों को प्राप्त कर लेता है। 8 तरह की सिद्धियां होती हैं। जिसे इस श्लोक में बताया गया है।
‘अणिमा लघिमा गरिमा प्राप्ति: प्राकाम्यंमहिमा तथा। ईशित्वं च वशित्वंच सर्वकामावशायिता:।।’
सिद्धि कैसे प्राप्त होती है, आगे इसके बारे में जानें-
दोस्तों आपको बता दें कि सिद्धि का मतलब होता है अनुशासन और अपने आप पर नियंत्रण पाना ।
हमारी पांचों ज्ञानेंद्रियों पर जो नियंत्रण हासिल होता है वास्तव में सिद्धि वही होती है।
आपको बता दें कि सिद्धियां दो तरह की होती है। पारा यानि इस संसार की सिद्धियां और अपना यानी ब्रह्मांड की सिद्धियां। आपको बता दें कि सिद्धि प्राप्त करने वाला इंसान जीवन और इस संसार के सभी भौतिक व अभौतिक चीजों को हासिल कर सकता है।
लेकिन आश्चर्यजनक बात यह है कि सिद्धि प्राप्त करने वाला इंसान माया, लोभ, धन पाने की लालसा, रिद्धि- सिद्धि प्राप्त करने की इच्छा से दूर इन सब से ऊपर उठकर ब्रह्म को प्राप्त कर लेता है। इसलिए सांसारिक इच्छाओं का उसका दमन हो जाता है । यानी सांसारिक इच्छा है उसके मन के अंदर से खत्म हो जाती है।
धार्मिक ग्रंथों में 8 तरह की सिद्धियां बताई गई है।
इन सिद्धियों को हासिल करने वाला साधक कई आश्चर्यजनक योग्यता हासिल कर लेता है। ‘अणिमा सिद्धि’प्राप्त करने वाला इंसान बहुत सूक्ष्म होकर कहीं भी विचरण कर सकता है।
‘महिमा सिद्धि’हासिल करने वाला इंसान सबसे क्षमतावान व विशाल बना लेने वाला बन जाता है।
‘गरिमा सिद्धि’ प्राप्त करने वाले वाला इंसान अपनी इच्छाशक्ति के बल पर शरीर को इतना भारी बना लेता है कि उसे कोई हिला नहीं सकता है।
‘लघिमा सिद्धि’ पाने वाला इंसान अपने शरीर को इतना हल्का बना लेता है कि वह कहीं भी आसानी से जा सकता है। किसी वस्तु को अपने पास बुला लेने की क्षमता इस तिथि के द्वारा पा जाता है।
‘प्राप्ति सिद्धि’
इच्छा अनुसार कोई भी असंभव चीज को प्राप्त कर सकता है।
‘प्राकाम्य सिद्धि’
अपने को किसी भी रूप में धारण कर लेने की योग्यता प्राप्त कर लेते हैं। इस सिद्धि के जानकार पानी में चल सकते हैं। हवा में उड़ सकते है आग में तैर सकते हैं।
‘ईशिता सिद्धि’
हर चीज का महारत हासिल करके स्वयं फर कंट्रोल स्थापित कर लेते हैं।
‘वशिता सिद्धि’
इससे अपनी को पाने वाले इंसान के वश में मृत्यु को वश मे कर लेता है। यानी अपनी इच्छा अनुसार वह शरीर को त्याग सकता है।
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