जहाँ भी राजनीती नाम आता है वहाँ वैसे ही लोग उससे दूर रहना पसंद करते है | कोई इस बारे मे न कुछ कहना चाहता है न कुछ पूछना चाहते है बस इतना चाहते है कि "जो हो रहा है होने दो सरकार किसी की भी हो हमे क्या " क्योकि सरकार किसी की भी हो कोई भी परेशानी हो वो झेल लेंगे क्योकि आदत हो गए है | महंगाई बढ़ रही है ,पेट्रोल महंगा हो गया पर नहीं कोई फर्क नहीं | क्योकि सब कुछ झलने की आदत हो गए है | फिर क्या किया जाये ,क्या होगा ? कोई मतलब नहीं |
सरकार की आपस मे होने वाली तकरार को आम जनता को कब तक झेलना पड़ेगा | क्या कभी सोचा है भारत एक है | पर यहाँ राज करने वाले इतने लोग तैयार है | सिर्फ राज करने की इच्छा करना ही सही नहीं अगर सच मे राजा बनना चाहते हो तो जनता की समस्या को भी ध्यान मे रखना जरुरी है | जो लोग उच्च स्तरीय लोग है उनके लिए महंगाई कोई मायने नहीं रखती ,जो माधयम स्तर के लोगो को महंगाई का प्रभाव पड़ता है परन्तु फिर भी वो अपने और खर्चो मे कटौती कर लेते है | परन्तु जो निम्न स्तर के लोग है वो तो महंगाई केकारण भोजन करना छोड़ तो नहीं सकते | तो ऐसे लोग क्या करे ? महंगाई के साथ कैसे चलाए अपना खर्चा |
जैसा ही हाल ही मे जैसे राहुल गाँधी ने भारत के प्रधान मंत्री मोदी जी पर आरोप लगाया के वो अमीरो की तरफदारी करने वाले है | राहुल गाँधी ने मोदी के खिलाफ कहा " आप जो भी करते है वपो नीरव मोदी जैसे लोगो के लिए करते है " ,"गुजरात मे मोदी जी ने लोकायुक्त की नियुक्ति क्यों नहीं की ?" " भ्रष्टाचार के खिलाफ लड़ने के लिए लोकपाल की नियुक्ति क्यों नहीं की " राहुल गाँधी ने पंजाब नेशन बैंक जैसे धोखाधड़ी जैसे मुद्दे पर प्रधान मंत्री जी की चुप्पी पर भी सवाल किये |