योगशास्त्र में वर्णित "बालासन" सरल एवं आरामदायक आसनों में से एक है। संस्कृत शब्द बाल का अर्थ बालक या छोटा बच्चा होता है। इसका अभ्यास करते समय व्यक्ति की मुद्रा भ्रूण (बच्चे) की तरह दिखाई देने लगती है। बालासन आराम करने की मुद्रा या स्थिति है। जो पीठ दर्द को दूर करने के साथ ही जाँघों को प्रभावित करती है। यदि इस योगासन को सही ढंग से किया जाता है, तो ये आसन शारीरिक ,मानसिक ,तथा भावनात्मक सांत्वना की महान भावना को स्फुरित करता है। बालासन , योग के प्रति समर्पित भाव को दर्शाने की एक उत्तम रचना है। आध्यात्मिक स्तर पर भी इस आसन का बड़ा महत्व है। ये आसन हमें सिखाता है ,की हमें अपना अहंभाव छोड़कर ,किसी बालक की भांति प्रकृति के प्रति समर्पित भाव रखकर जीवन जीना चाहिए।
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