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हम सभी जानते है कि खेलने से शारीरिक और मानसिक दोनो का विकास होता है। खेल हमारे जीवन का महत्वपूर्ण हिस्सा है। खेल अनेक दो प्रकार के होते है। घर के अंदर वाले खेल और घर के बाहर वाले खेल।
खेल से शरीर फिट होता है टीम वर्क और लीडरशिप जैसे गुण आते है। इसी विषय के एक खेल खो खो के बारे में आज हम आपसे कुछ जानकारी साझा करेंगे।
खो खो खेल का विस्तार -
खो खो खेल एक मैदानी खेल है। इस खेल में शारीरिक रूप से ताकतवर खिलाडियों को ही लिया जाता हैं। यह दुनिया भर मे मशहूर है क्योकि यह एक स्वदेशी खेल है। इसे सबसे पहले गुजरात के बडोदा मे खेला गया था।इसक बाद इसे महाराष्ट्र, मध्य प्रदेश और बाकी भारत के दूसरे राज्यो में भी खेला जाने लगा। पहली खो खो प्रतियोगिता भारत के पुणे में 1918 मे जिम खाने में खेली गयी थी। इसके बाद भारतीय स्तर पर प्रतियोगिताओ का आयोजन होने लगा। इस खेल में 24 खिलाडी होते है। प्रत्येक टीम में 12- 12 खिलाडी होते है जिसमे से मैदान में केवल 9 खिलाडी ही भाग लेते है बाकी 3 खिलाडीयो को आवश्यकता पड़ने पर बुलाया जाता है।
खो खो खेल के नियम -
खेल का तरीका -
खेल की शुरुआत मे दोनो टीमो के खिलाडी एक लाइन मे विपरीत दिशाओं में मुँह करके बैठ जाते है। हर टीम के खिलाडी को अपनी पारी के लिए 7 मिनट दिये जाते है।
दोनो टीम का एक एक खिलाडी खड़ा होता है। और सिटी की आवाज सुनते ही पीछा करने वाली टीम को पकड़ने की कोशिश करता है। जैसे ही विरोधी पकड़ने वाली टीम के सदस्य के पास पहुँचता है वहाँ बैठे खिलाडी को दौड़ रहा खिलाडी खो बोलकर उसे पीछा कर पकड़ने का आवाहन देता है। यदि पकड़ने वाला खिलाडी विरोधी टीम के खिलाडी को पकड़ लेता है तो उस टीम को 1 पॉइंट मिलता है। इसी प्रकार खेल जारी रहता है अंत मे जिस टीम के अंक अधिक होते है उस टीम को विजेता घोषित कर दिया जाता है।
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