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हिंदी को भारत की राष्ट्रीय भाषा कैसे बनाया गया?


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(BBA) in Sports Management | Posted on


भारत एक लोक तांत्रिक देश है और हिंदी हमारी सबसे पुरातत्व भाषाओ मैं से एक है। हम सब जानते है की देवनागरी लिपि भारत मैं सबसे ज्यादा बोलने और उपयोग मै ली जानेवाली लिपि रही है और हमारे देश मैं इसे कही ना कही सभी भाषाओ मैं पाया जाता है।

हिंदी और अंग्रेजी का उपयोग सरकारी उद्देश्यों जैसे संसदीय कार्यवाही, न्यायपालिका, केंद्र सरकार और एक राज्य सरकार के बीच संचार के लिए किया जाता है।

भारत के भीतर राज्यों को अपनी आधिकारिक भाषा को कानून के माध्यम से नियमित करने की स्वतंत्रता और शक्तियां हैं और इसलिए भारत में २२ आधिकारिक मान्यता प्राप्त भाषाएं हैं। कुल भारतीय आबादी में देशी हिंदी बोलने वालों की संख्या १४.५% और २४.५% के बीच है, हालांकि, हिंदी के रूप में हिंदी जैसी अन्य भाषाएं लगभग ४५% भारतीयों द्वारा बोली जाती हैं।

ब्रिटिश राज के दौरान हिंदी को अंग्रेजी संघीय स्तर पर प्रयोजनों के लिए इस्तेमाल किया गया था। १९५० मै अपनाया गया भारतीय संविधान मैं अनुमान लगाया गया की आने वाले पंद्रह वर्षो मैं इसे अंग्रेजी मैं बदल लेंगे । परन्तु देश की कुछ हिस्सों में विरोध करने के साथ ही गणराज्य की हिंदी भाषा को एकमात्र आधिकारिक भाषा बनाने की योजनाएं बनी। जिसके कारण आज भी हिंदी का उपयोग राज्य के स्तर पर राज्य की सरकारी भाषाओं (मध्य स्तर पर कुछ राज्यों में) के साथ संयोजन में किया जा रहा है।


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