पोखरण भारत के राजस्थान में स्थित एक स्थान है जहाँ आमतौर पर सैनिको का परीक्षण होता था परन्तु इस स्थान की काया तब बदली जब भारतीय वैज्ञानिको और सैनिको की इंटेलिजेंस टीम ने मिलकर यहाँ परमाणु परीक्षण किया | आज परमाणु परिक्षण के बारे में सुनना हमे ज्यादा अजीब नहीं जान पड़ता क्यूंकि वर्तमान में भारत एक परमाणु शक्ति संपन्न राष्ट्र है परन्तु एक समय वह था जब भारत के पास परमाणु हथियार थे तो सही परन्तु फिर भी वह एक परमाणु संपंन्न राष्ट्र नहीं था जिसका सीधा सा कारण यह था कि भारत के पास सब हथियार होते हुए भी उनके इस्तेमाल की या परिक्षण कि आज़ादी नहीं थी | NPT ( Nuclear Non - Profitable Treaty के अनुसार भारत समेत कई राष्ट्रों को किसी भी प्रकार के परमाणु परीक्षण या हथियार रखने कि इज़ाज़त नहीं थी | इसे " विश्व शांति " के लिए उठाया गया कदम कहा गया |
परमाणु परीक्षण कि आवश्यकता क्यों
भारत और पाकिस्तान के बंटवारे के वर्षो बाद भी उन दोनों के सम्बन्ध अच्छे नहीं थे जिसकी वजह पकिस्तान का भारत कि ओर कभी भी युद्ध छेड़ देने कि आशंका थी | जहाँ एक तरफ पाकिस्तान परमाणु सम्पन्न राष्ट्र बन रहा था वहीँ दूसरी ओर भारत था जिसके ऊपर पल पल नज़र रखती CIA कि satellite थी | यदि पाकिस्तान परमाणु संपन्न राष्ट्र बन जाता तो इसमें कोई दोहराये नहीं कि वह भारत से युद्ध करता और संभव है कि भारत कि पराजय हो जाती | इसलिए यह सुनिश्चित करना आवश्यक था कि भारत परमाणु शक्ति संपन्न राष्ट्र बन जाए | केवल पाकिस्तान ही भारत के लिए खतरा नहीं था अमेरिका भी भारत के लिए एक खतरा ही था | जब भारत ने सर्वप्रथम परमाणु परीक्षण के प्रयास किये थे तो वह अमेरिका ही था जिसकी satellite ने भारत में पोखरण में किए जाने वाले परमाणु परीक्षण की तस्वीरें ली | राष्ट्रपति क्लिंटन ने भारत को सरेआम धमकी दी कि वह परमाणु परीक्षण के ख्वाब छोड़ दे नहीं तो अमेरिका भारत के साथ युद्ध छेड़ देगा |
CIA से बचके परमाणु परीक्षण
11 मई 1998 के दिन भारत ने एक, दो या तीन नहीं बल्कि पांच परमाणु हथियार परीक्षण किए ओर यह सभी परीक्षण भारत ने पोखरण में CIA कि satellite कि नाक के नीचे रहकर किए || पहला पोखरण परीक्षण 1974 में किया गया था जिसका पता CIA को satellite से पता लग गया था | पोखरण पर CIA की चार satellite लगी हुई थी जो पल पल पोखरण पर नज़र रखती थी | कहा जाता था इन satellite की पहुँच इतनी तेज़ थी की यह भारत में खड़े व्यक्ति के हाथ में पहनी खड़ी का समय तक बता सकती थी | यह भी कहा जाता था की यह satellite human intelligence से परिपूर्ण थी |
भारतीय सैनिको और वैज्ञानिको की 80 लोगो की एक टीम बनाई गयी | यह टीम परीक्षण के स्थान पर सैनिको की वर्दी में जाती थी और हर समय codes में बातें किया करती थी |
इस परीक्षण की तैयारी तब होती थी जब satellite अपना स्थान बदलती थी | जैसे दिन में एक घंटे का समय और रात में एक घंटे का समय टीम को अपनी तैयारी के लिए मिल जाता था |
बमो के नाम NT1 ,NT2 , NT3 इस प्रकार रखे गए थे |
- बमो का जहाँ परीक्षण करना था उन स्थानों का नाम वाइट हाउस , कुम्भकरण और ताजमहल जैसे नामो पर रखा गया |
- इस परीक्षण के समय भारत के प्रधानमंती अटल बिहारी बाजपेयी थे |
- इस परीक्षण की अध्यक्षता स्वंय APJ अब्दुल कलाम और R . चिंदबरम ने की |
- इस परीक्षण के समय सेना के प्रमुख कर्नल गोपाल कौशिक थे |
- CIA को इस परीक्षण के बारे में पता इसलिए नहीं चल पाया क्यूंकि यह परीक्षण अत्यधिक गुप्त था और black hours अर्थात जब satellite अपना स्थान बदलती थी तब इसक कार्य होता था |
- जिस समय परीक्षण का अत्यधिक महत्वपूर्ण कार्य होना था तब भारत की साडी सैन्य शक्ति कश्मीर पहुंचे गयी जिससे यह लगे की भारत पाकिस्तान की तरफ युद्ध छेड़ने जा रहा है | इससे हुआ यह की CIA की satellite पाकिस्तान पर लगा दी गयी |
इस तरह 11 मई 1998 को भारत ने पहला संपन्न परमाणु परीक्षण किया |तीन दिनों के भीतर ही 5 परमाणु परीक्षण कर भारत ने खुदको एक परमाणु शक्ति संपन्न राष्ट्र घोषित किया | यही कारण है की आज हम भारत में इतने सुरक्षित है ,आज़ाद है और किसी भी दुश्मन राष्ट्र को चुनौती देने के काबिल है |
पोखरण का यह मिशन विश्व इतिहास में सबसे बड़े सम्पन्न गुप्त मिशन के रूप में गिना जाता है और इसे CIA की सबसे बड़ी हार माना जाता है |
( Courtesy : Lokmatnews.in
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