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Medha Kapoor

B.A. (Journalism & Mass Communication) | Posted on | Education


अगर पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर भारत का अभिन्न हिस्सा है तो भारत उसे पाकिस्तान के कब्जे से क्यों नहीं छुडवाता है?


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आपको बता दूं पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर को छुड़ाने के लिए संसद में बात चल रही है । लेकिन सबसे बड़ा सवाल यहां यह खड़ा होता है कि जिस दिन इसको अलग किया जायेगा । कहीं जंग छिड़ गई तो दोनों तरफ़ से नुकसान होगा । आप खुद जानते है कि पाकिस्तान अपने नापाक हरकतों से बाज नहीं आएगा और भारत को बदनाम करने के लिए वह कुछ भी गंदी चाल चल सकता है । साथ ही भारत नहीं चाहता कि कभी कोई जंग छिड़े और उसके देश के लोग परेशान हो । हिंदुस्तान यह मुद्दा शांति से और बातचीत करके निकलना चाहता है ।


भारत बहुत ही शांति प्रिय देश है और भारत कभी नही चाहेगा कि जंग के बाद यह मुद्दा कहीं और कि संसद में उठे । और संयुक्त राष्ट्र के कड़े नियम से उसे गुजरना पड़े । आपको बता दूं कि भारत ने आज तक कभी गंभीरता से इसे लेने की कोशिश ही नहीं की । अगर भारत जिस दिन इसे लेने के लिए चाह लेगा तो उसे कोई रोक नहीं सकता । पाक अधिकृत कश्मीर में स्कूल और कॉलेज की भी कमी है ।

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साथ ही साथ यहां सबसे बड़ा मुद्दा यह उठता है कि जिस दिन भारत इसे छुड़ाने की कोशिश करेगा जितने भी इस्लामिक मुल्क है सब के सब पाकिस्तान के साथ खड़े हो जाएंगे । जिसका अर्थ यह निकलेगा कि भारत को बहुत बड़ा नुकसान हो सकता है । जैसे कि जितने भी खनिज पदार्थ है वह सभी इस्लामिक देश से आते है अगर उनपर उन देशों ने रोक लगा दिया तो स्थिति भयावाह हो जायेगी । और भारत में सभी चीजों के दाम अपने आप बढ़ जाएंगे और इतनी बड़ी जनसंख्या वाले देश ने भुखमरी आ जायेगी जिससे भारत कमजोर पड़ सकता है ।

इन सबके बीच अगर भारत जब भी इसे छुड़ाने जायेगा तो उसे चीन से भी मुकाबला करना पड़ सकता है । क्योंकि चीन कभी नहीं चाहता कि हिंदुस्तान आगे बढ़े। और उसने वह भी रोटी सेंकने लगेगा । इसलिए भारत अभी तक शांत बैठा है ।

यह तो जाहिर है कि पाक अधीकृत कश्मीर को छुड़वाने के लिए भारत को कूटनीति के बजाय बल का प्रयोग करना पड़ेगा । और बल प्रयोग करने पर यह मुद्दा अंतरराष्ट्रीय मुद्दा बन जायेगा । और भारत को मुस्लिम देश युद्ध करवाने वाला देश कहने लगेंगे । जिसकी वजह से हमें आयात और निर्यात की चीजों पर दिक्कत होने लगेगी और सारी अर्थव्यवस्था डगमगा जायेगी ।

सही मायने में देखा जाए तो भारत के जितने भी प्रधानमंत्री हुए कभी इसे गंभीरता से लिए ही नहीं । फिलहाल जब से बीजेपी की सरकार आई है था मुद्दा लगातार उठता रहा है । नही तो कोई भी पार्टी इस मुद्दे पर बोलने को भी तैयार नहीं है ।


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