Sales Executive in ICICI Bank | Posted on | others
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अपने यहां अभी भी बेटी की बजाय बेटे का शौक लोगों को अधिक है। बावजूद इसके, कोई भी इस बात से इनकार नहीं कर सकता है कि बेटों की अपेक्षा बेटियां अपने मां- पिता का अधिक ध्यान रखती हैं। अब इसके पीछे का कारण चाहे जो भी हो, हम सब जानते हैं कि बेटियां हमेशा अपने परिवार को एक ही छत के नीचे देखना चाहती हैं। जब उनके मां- पिता बुजुर्ग हो जाते हैं तो वे उनके प्रति जिम्मेदार हो जाती हैं। कहा जाए तो वह उनकी मां बन जाती है।
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आज कल के माता -पिता लड़को की चाहत रखते है कि भगवान उन्हें लडके दे लेकिन दरअसल जितना सुख बेटियां अपने माता -पिता को देती है। वह सुख बेटे नही दे पाते है, सही है कि बेटियां अपने मां -बाप का सहारा बनती है, भले ही बेटियों शादी हो जाये वह पराई हो जाती है लेकिन माता -पिता किसी मुसीबत मे है तो वह अपने बेटों बहुयो को बोलेगे तो वह उनकी मदद नही करेंगे लेकिन बेटी को बोलेगे तो बेटी अपने माता -पिता की मदद करने के लिए ससुराल से भागी दौडी चली आएगी, क्योंकि बेटियां अपने माता -पिता का बहुत ध्यान रखती है और बेटों से ज्यादा बेटियां अपने माता -पिता से प्यार करती है।
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जी हां यह बात बिल्कुल सही है की लड़कियां अपने माता-पिता का अधिक ध्यान रखती हैं। क्योंकि वह अपने माता-पिता से बहुत ज्यादा प्यार करती है और उनका पूरा ख्याल रखती हैं। लेकिन हमारे देश में लड़कियों को बोझ माना जाता है। लेकिन लड़कियों को बोझ मानना बिल्कुल गलत है। अक्सर आपने देखा होगा कि जब लड़कों की शादी हो जाती है तो उनकी पत्नी के आने पर भी अपने माता-पिता का ख्याल नहीं रखते हैं लेकिन लड़कियों की शादी होने के बाद भी वे अपने माता-पिता का उतना ही ख्याल रखती हैं और यदि उनके माता-पिता की तबीयत खराब हो जाती है तो वे ससुराल से आकर उनका ख्याल रखती है।