स्टैच्यू ऑफ यूनिटी दुनिया की सबसे ऊंची प्रतिमा है जो की सरदार पटेल के मान में स्थापित की गई है। इस स्टैच्यू को बनाने मे 3000 करोड़ रूपए खर्च किए गए थे जो की एक बहुत बडी राशी कही जा सकती है। इस स्टैच्यू की देख रेख मे भी काफी खर्च हो सकता है, और सब से बडा सवाल है की ये खर्च कोन देगा। क्या ये प्रतिमा बनानी देश के लिये जरुरी थी? स्टैच्यू ऑफ यूनिटी के उद्घाटन मे मोदीजी ने कहा की मेरा सौभाग्य है कि मुझे सरदार साहब की इस प्रतिमा को देश को समर्पित करने का अवसर मिला, पर क्या सरदार साहब को ये पसंद आता?
सौजन्य: यात्रा
स्टैच्यू ऑफ यूनिटी 33 माह के समय मे बनाया गया जो काफी कम समय मे बनाने का एक किर्तिमान है। स्टैच्यू ऑफ यूनिटी बनाने के लिये लोहा जमा करने का अभियान चलाया गया था। 240 करोड रूपए सभागार और प्रदर्शनी होल मे खर्च किये गये थे। 650 करोड़ रूपए अगले 15 साल देखरेख के लिए खर्च किये जाएंगे और 83 करोड़ रूपए पुल बनाने मे खर्च किये गये है। 2.60 करोड़ रूपए मीडिया प्रसार के लिए खर्च किये गये, 2 करोड़ इलेकट्रोनिक मीडिया पर खर्च हुआ। 1 करोड़रूपए प्रिंट मीडिया मे खर्च हुआ।
स्टैच्यू ऑफ यूनिटी से ज्यादा ये रकम की जरूरत स्कूल , हॉस्पिटल, रोड़, बिजली, रोजगार, कृषी संवर्धन जैसे क्षेत्रो में करना चाहीए। पर ये खर्च स्टैच्यू पर किया जा रहा है। हमारे देश में काफी गांव मे बिजली, पानी, अनाज की कमी है। जिनकी जांच भी नहीं कर रही है सरकार, ये काफी बड़ी रकम है जिस से की सरकार कई स्कूल, और हॉस्पिटल बना सकती थी पर ऐसा न करते एक बुत पर खर्चा हो रहा है जो की देश का दुर्भाग्य है।