| Posted on | Education
| Posted on
अनुस्वार ध्वनि नाथ से निकलती है पंचम वर्ण अर्थात ङ्, ञ़्, ण्, न्, म् के स्थान पर बिंदु लगता है जैसे गंगा
अनुनासिक की मात्रा चंद्रबिंदु होता है। अनुनासिक ध्वनि का उच्चारण मुँह से अधिक और नाक से कम ध्वनि निकलती सुनाई देती है।
में शब्दों में अनुनासिक की मात्रा होती यानी चंद्रबिंदु लेकिन छपाई में पहले जब लिखा जाता था तो यह चंद्रबिंदु बिंदु की तरह दिखता था क्योंकि ए की मात्रा के कारण इसलिए नहीं और वह में चंद्रबिंदु की जगह बिंदु ही लगने लगा जबकि इसमें अनुनासिक यानी चंद्रबिंदु का ध्वनि होता है। इसलिए में नहीं में अनुनासिक यानी चंद्रबिंदु होता है।
0 Comment
| Posted on
आइए आज हम आपको जानकारी देते हैं कि 'में' मे लगने वाली बिंदी अनुस्वार है या अनुनासिक है इसकी पूरी जानकारी देते हैं। दरअसल अनुस्वार ध्वनि नाक से निकलती है जैसे कि ड', झ', ण',न,'म,' यह सभी शब्द अनुस्वार शब्द हैं। जैसे कि यह गंगा,पंडित, चंचल आदि शब्द। तो मैं आपकी जानकारी के लिए बता दूं की में मे लगने वाली बिंदु चंद्रबिंदु होता है तभी में मे अनुनासिक की मात्रा होती है लेकिन छपाई चंद्रबिंदु की होती है इसलिए चंद्रबिंदु की जगह अनुनासिक बिंदी लगा देते हैं। इसलिए में मे चंद्रबिंदु लगाने की प्रक्रिया चली आ रही है।
0 Comment