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Sumil Yadav

| Posted on | Education


क्या वेदों में है गौ हत्या को मृत्यु दंड का विद्यान ?


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भारत में गाय को माता कहकर बुलाते हैं लेकिन वर्तमान में गायों की स्थिति कैसी है यह आप सभी लोग देख ही रहे होंगे। जब तक गाय, गाय पालक‌ को लाभ देती है तब तक वह गाय को अपने पास रखता है लेकिन बाद में या वह उसे बेच देता है या फिर उसे छोड़ देता है जो पाप माना जाता है। वेदों में गाय को पूजनीय माना गया है लेकिन वर्तमान में उससे ही बोझ समझा जाने लगा है।गौहत्या हिंदुओं के लिए बहुत बड़ा संवेदनशील मुद्दा है।आर्य देश के कई राज्यों में गौ हत्या के विरोध में कानून बनाए गए लेकिन मृत्युदंड का कोई प्रावधान नहीं बनाया गया। यजुर्वेद और अथर्ववेद दोनों वेदों में गौ हत्या के विरोध में मृत्युदंड का प्रावधान है लेकिन संविधान ने वेदों की बात को ही झुटला दिया। वेदों में गौ हत्या को लेकर मृत्युदंड ‌ साफ तौर पर लिखा है।

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वेदों में गौ माता की महत्व का वर्णन किया गया है।लेकिन गौ मांस खाने वाले कहते हैं कि वेदों में गौ मांस खाने की बात कही गई है। लेकिन इस बात का विरोध करने वाला कोई नहीं है। कोई भी धर्म हो लोग मांस खाना शानो शौकत समझते हैं। हर धर्म के लोग गौ मांस के साथ ही साथ अन्य मांस का भी सेवन करने लगे हैं।दरअसल ऐसे धूर्तों ने कवि वेदों के मंत्रों को पढ़ा ही नहीं है।

ऐसे कुकर्मियों को अज्ञानी ही कहा जाना सही होगा क्योंकि उन्हें यह ज्ञात ही नहीं है की सनातन धर्म में गौ हत्या और गौ मांस खाना दोनों महापाप माना जाता है। इतना ही नहीं गाय का अपमान करना भी महापाप है। यदि शास्त्रीय मान्यताओं की बात करें तो गाय के जल पीने में बाधा डालने वाला व्यक्ति पाप का भोगी बनता है। गौ हत्या करना देवी की हत्या मानी जाती है। वेदों में गौ हत्यारे के लिए मृत्युदंड का प्रावधान है। लेकिन लोग इस बात से अज्ञान है इसलिए हिन्दू समाज को इस बात से अवगत कराना बेहद जरूरी है।
वेद सनातन धर्म का आधार हैं।


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