जैसा की सभी जानते हैं, कि ओडिशा के पुरी से हर साल ये यात्रा निकाली जाती हैं | ये यात्रा आषाढ मास में शुक्ल पक्ष की द्वितीया निकलती हैं | पुरी और गुजरात के अहमदाबाद में भगवान जगन्नाथ की भव्य रथ यात्रा निकलती हैं |
आपको बता दें कि- जगन्नाथ भगवान् विष्णु का ही रूप हैं | संस्कृत में जगन्नाथ का अर्थ दो शब्दों से मिलकर बना होता हैं, पहला जग अर्थात दुनिया और दूसरा नाथ अर्थात भगवान। भगवान् जगन्नाथ जिनको विष्णु का अवतार मानते हैं, और भगवान् विष्णु का द्वापर युग में कृष्ण भगवान के रूप में जन्म हुआ हैं, जो 16 कलाओं से परिपूर्ण हैं, इसलिए सही रूप में आप जगन्नाथ को भगवान् कृष्णा के रूप में मान सकते हैं |
रथ यात्रा क्यों होती हैं ?
वैसे तो ये सभी जानते हैं, कि इस रथ यात्रा में तीनो भाई बहन एक साथ यात्रा के लिए निकलते हैं | तीनो भाई बहन में ,भगवान् कृष्णा,बलदेव और उनकी बहन सुभद्रा | इस रथ यात्रा में तीनो एक साथ यात्रा पर निकलते हैं | पुराणों के अनुसार यह यात्रा शुरू होने का कारण यह बताया गया हैं कि - " शादी के बाद सुभद्रा अपने मायके आती थी, और अपने भाइयों के साथ नगर भर्मण करने जाती थी, और तीनो भाई-बहन एक रथ पर एक साथ नगर भर्मण को निकलते थे" तब से यात्रा का प्रारम्भ हुआ |
- इस रथ यात्रा कि एक मान्यता ये भी मानी जाती हैं, कि भगवान् कृष्णा को देखने के उनके गांव कि सभा गोपियाँ बड़ी ही उत्सुक रहती थी, उनसे मिलने का इंतज़ार करती थी, रजोधर्म कि वजह से कई महिलाएं भगवान् के दर्शन नहीं कर पाती थी | तब भगवान् कृष्णा ने सभी को वचन दिया एक साल में एक बार ऐसा दिन जरूर आएगा जब सभी किसी भी परिस्थिति में मेरा दर्शन कर सकती हैं | इसलिए जब भी यह रथ यात्रा निकलती हैं, महिला या पुरुष रथ को जरूर हाथ लगते हैं |
कब से शुरू :-
पुरी से इस बार 141 वीं रथ यात्रा आज 14 जुलाई 2018 से शुरू हो रही हैं, यह आषाढ मास में शुक्ल पक्ष की द्वितीया को निकलती हैं | ओडिशा की पुरी के और गुजरात के अहमदाबाद में भगवान जगन्नाथ रथयात्रा की भव्य रथयात्रा निकलती हैं | यह उत्सव नौ दिनों तक चलता हैं, और 9 दिन के उत्सव के बाद भगवान जगन्नाथ, जगन्नाथ मंदिर में विराजमान हो जाते हैं |