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फेसबुक सीईओ मार्क जुकरबर्ग और सॉरी शब्द एक दूसरे के पर्यावाची से बन गए हैं | उनके सॉरी कहने का सफ़र शुरू हुआ 2003 में जब उन्होंने फेसमेष बनाने पर सॉरी कहा | दूसरी बार उन्होंने सॉरी कहा 2006 सितम्बर में जब फेसबुक न्यूज़ फीड द्वारा फ्रेंड्स के अपडेट को शेयर हो गए |
तीसरी बार जुकरबर्ग ने सॉरी कहा दिसम्बर 2007 में जब उन्होंने यह माना की फेसबुक बीकन का लांच गलत था क्योंकि इसके लांच से यूजर प्राइवेसी पर हमला हुआ | फरवरी 2009 में जुकरबर्ग ने यूजर फीडबैक के तहत नई टर्म्स एंड कंडीशन को वापस लिया | फिर 2009 मई में उन्होंने माना की फेसबुक में प्राइवेसी सम्बन्धी समस्या है क्योंकि कुछ रिपोर्टर्स ने प्राइवेसी में कमी उजागर की थी | नवम्बर 2011 में जुकरबर्ग ने माना की फेसबुक ने कुछ समस्यायें हैं |
जुलाई 2014 में फेसबुक सीओओ ने माफ़ी मांगी जब यह उजागर हुआ की फेसबुक ने 7 लाख यूजर पर उनकी इजाजत के बगैर मनोवैज्ञानिक परीक्षण किया | इसी तरह दिसम्बर 2016 में, अप्रैल 2017 में, सितम्बर 2017 में जनवरी, मार्च, अप्रैल 2018 में जुकरबर्ग द्वारा माफ़ी यह सिलसिला जारी रहा | देखा जाये तो जुकरबर्ग को सॉरी कहते हुए 14 वर्ष हो गए हैं और वो कितनी बार सॉरी कहेंगे यह किसी को पता नहीं |
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