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मयंक मानिक

Student-B.Tech in Mechanical Engineering,Mit Art Design and Technology University | Posted on | others


लम्बे भाषण देना आसान होता हैं, क्या उन पर कोई अमल करता हैं ?


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Creative director | Posted on


किसी ने बिलकुल सही ही कहा है "जो बादल गरजते हैं वो बरसते नहीं हैं " | कुछ ऐसा ही हाल हमारे देश के नेताओ का है | जहाँ भाषण देने कि बारी आती हैं वहाँ उन्हें अन्य देश के नेता हरा नहीं सकते और जहाँ उन भाषणों पर अमल करने के बारी आती है, उसमे वह किसी से जीत नहीं सकते | ये हाल हैं हमारे देश के नेताओ द्वारा दिए गए लम्बे लम्बे भाषणों के |


शुरुआत हमारे देश के प्रधानमंत्री जी से ही करते हैं | उन्होंने अपने एक भाषण में कुछ इस प्रकार कि बातें कही थीं "मुझे प्रधानमंत्री मत बनाओ, मुझे इस देश का चौकीदार बनाओ जो देश की रक्षा करे, परन्तु देश की रक्षा तो वह तब करेंगे न जब वो देश में रहेंगे |

वही दिन याद कर लीजिये जब केजरीवाल धरने पर बैठा करते थे और लम्बे लम्बे भाषण दिया करते थे और मजाल थी कि कोई उनके आगे टिक पाता | मुख्यमंत्री की कुर्सी संभालते ही न अब केजरीवाल नज़र आतें हैं न उनके भाषण |
लम्बे लम्बे भाषण तो आजकल विद्यालयों में बच्चे दे देते हैं, परन्तु नेताओ का कार्य केवल भाषण देना नहीं होता बल्कि उनपर अमल करना होता है, जो वह बिलकुल भी नहीं करते |

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Accountant, (Kotak Mahindra Bank) | Posted on


जैसा कि सभी जानते हैं, जितने भी नेता होते हैं, वो सिर्फ भाषण देना जानते हैं, बस इसके सिवा और कुछ नहीं | देर तक भाषण देना भारतीय नेताओं की आदत हो गई हैं | पर जो लोग इतने लंम्बे भाषण देते हैं, उन पर लोग अमल करते हैं, लोग तो छोड़िये क्या भाषण देने वाला अमल करता हैं | कभी नहीं भाषण देना जितना आसान होता हैं, उतना ही ही मुश्किल उन बातों पर अमल करना होता हैं |


जैसा कि इस स्वतंत्रता दिवस पर हमारे भारत के प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी ने 83 मिनिट का भाषण दिया | हमारे देश में कुछ चीज़ें हैं, जो आसानी से मिल जाती हैं, एक तो भाषण और दूसरा मुफ्त की सलाह | आज हम भाषण के बारें में बात कर रहे हैं | जितने भी नेता हैं वो सिर्फ भाषण देते हैं, वो भी बहुत लंम्बे समय अवधि तक | मुझे ऐसा लगता हैं, अगर नेता या कोई भी राजनीती दल अपने भाषण पर नियंत्रण रखें और काम ज्यादा करें तो वो बहुत महत्वपूर्ण होगा |

वर्तमान समय में देश कितनी परेशानी में हैं, ये परेशानी क्यों नहीं दिखाई देती नेताओं को | बस एक राजनीती ही करनी आती है, एक ही देश हैं और सभी को इसका राजा बनना हैं, जहां काम की बात आती हैं, वहाँ काम नहीं करते | लंम्बे भाषण देना बहुत आसान होता हैं, पर कहे गए उन शब्दों पर चलना बहुत मुश्किल होता हैं |


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