भूमि के भौतिक, रासायनिक या जैविक गुणों में कोई ऐसा अवांछनीय परिवर्तन जिससे उसकी मिट्टी प्रदूषित हो जाये उसे मिट्टी (भूमि) प्रदूषण कहते है| भारत की एक-तिहाई आबादी का जीवन कृषि पर आधारित है| इसका सीधा संबंध भूमि से जुड़ा हुआ है अतः यदि भूमि उपजाऊ न रही तो कृषि बाधित हो जाती है|
मिट्टी प्रदूषण को कम करने की दिशा में केंद्रीय सरकार ने साल 2015 में साइल हेल्थ कार्ड योजना की शुरुआत की थी| इस योजना के अंतरगर्त किसानों को एक साइल हेल्थ कार्ड दिया जायेगा जिसमें उन्हें मिट्टी के स्वास्थ्य से संबंधित जानकारी व सुविधाएं दी जाएगी| जैसे - उसके प्रकार ,उसकी विषेशताएं,उसकी गुणवत्ता ,उसमें किये जाने वाले सुधारात्मक उपायों की सूची , नियमित निरक्षण व विशेषज्ञ सहायता आदि|
इससे सीधे तौर पर किसान अपनी भूमि की मिट्टी को समझ पायेगा और उसका अच्छे से रख-रखाव करते हुए भूमि प्रदूषण को रोकने में सक्षम बनेगा| यह स्कीम सरकार की सबसे बड़ी पहल है क्योंकि हमारे देश में भूमि का अधिकांश उपयोग कृषि के लिए होता है| यदि कृषि भूमि की संरक्षता होगी तो भूमि प्रदूषण पर अपने-आप रोकथाम हो पाएगी|
इसके अतिरिक्त सरकार निम्नलिखित कदमों द्वारा भूमि प्रदूषण को प्रभावी रूप से कम कर सकती है :-
- स्वच्छ भारत मिशन के तहत सड़क पर कचरा फेंखना एक अपराध घोषित किया जाना चाहिए|
- भूमि प्रदूषण के लिए एक विशेष सहभागिता व जागरूकता अभियान की शुरुआत की जानी चाहिए|
- विज्ञापन द्वारा भूमि प्रदूषण के बारे में लोगों को बताना चाहिए|
- खेतों में अवशेषों को जलने से रोकने के लिए नए कानून को लागू किया जाना चाहिए|
- देश भर में आधुनिक तकनीक से लैस कचरा प्रबंधन तंत्र बनाया जाये|
- वृक्षारोपण के साथ-साथ खाली भूमिपर अत्यधिक हरी घास लगवाई जाए|