Listener of Small Voices | Posted on |
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" हमने विरोध किया "
" यह बड़ा प्रदर्शन प्रमाण है कि हम सार्वजनिक क्षेत्र बैंक कर्मचारीओ ने सरकार की विलय निति का विरोध किया |" यह शब्द अनीता सिंह के थे जो पिछले 38 साल से देना बैंक के साथ काम कर रही है |
अनीता सिंह
" इस निति से मुझे फर्क नहीं पड़ता क्योंकि में रिटायर होने वाली हूँ , परन्तु यह जरूरी है कि आगे की पीढ़ी समझे कि हम सबने इस गलत विलय निति का विरोध किया |" अनीता ने स्पष्ट किया |
इस साल अगस्त में निर्मला सीतारमन , वित्त मंत्री ने घोषणा की थी कि दस सार्वजनिक बैंक अब चार बड़े बैंको में मर्ज या विलय होंगे |
All India bank employees (AIBE ) और Bank employee federation of India ( BEFI ) ने इसका विरोध किया और हड़ताल बुलवाई | उनका मानना है कि यह निजी बैंको को मदद और बढ़ावा देने का तरीका है | " कोनसा निजी बैंक निम्न आय वर्ग की सेवा करता है ? यह मर्जर किसके हित में है ?" पूछते है J . P sharma AIBE के दिल्ली अध्यक्ष|
J . P Sharma AIBE , दिल्ली अध्यक्ष
AIBE और BEFI एक लम्बे पत्र में अपने मुद्दों का विस्तार दिया है | उनके हिसाब से यह फैसला और तरीका गलत है | " सार्वजनिक बैंक 40 % कृषि उधार देते है; देश के रोजगार साधन ; ग्रामीण ,स्वस्थ्य ,शिक्षा ,सूक्षम ,लघु और मध्य उधोग .......इन सब यजनाओ का पैसा हमसे जाता है | परन्तु सार्वजानिक क्षेत्र बैंको की अक्षमता तथा उनकी NPA में डूबी स्थिति कोई नई बात नहीं है और यह मुद्दा बहुत बार चर्चित होता है |
मंच
लकिन इस पर कर्मचारियों का मानना है कि यह सरकार की गलती है , जो इन बैंको के प्रमुख कार्यकर्ता और प्रधानों को खुद चुनती है और फिर उन पर दवाब डालती है , उनके प्रबल और प्रभावशाली संग , दोस्तों को लोन और क्रेडिट देने के लिए | हाल ही में विजय माल्या और माहुल चौकसी इसका प्रमाण है |
अमरजीत कौर AITUC की महासचिव साक्ष्यतापूर्वक कहती है - " हमे आलस के आरोपों पर दयँ नहीं देना चाइए, और कि आप तगड़ी वेतन पाते है बगैर काम किये | हमने काम करने से कब इंकार किया ?
सरकार पूरा प्रणालितंत्र सुधरे - हम सब उनके साथ है पर वह तोह सब थप करने में तुली है |"
प्रदर्शनकारी
अनीता का यह मानना है कि इन बैंको का लम्बा इतहास है - हिंदुस्तान से भी पहले का |
"देना बैंक 1938 में स्थापित हुआ था , इसका लम्बा इतहास देश से जुड़ा हुआ है , इसको एक आघात में मिटाना ठीक नहीं है , इसका अस्तित्व और पहचान भी ध्यान में रखनी चाइए |"