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आकाश जैस्वाल

Entertainment Journalist | Posted on | Entertainment


रीमिक्स कल्चर के नामपर सदाबहार गीतों के सहारे चल रही बॉलीवुड की दूकान

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रीमिक्स कल्चर के नामपर सदाबहार गीतों के सहारे चल रही बॉलीवुड की दूकान


बॉलीवुड आज ऐसे दौर से गुजर रहा है जहां उसे नए और बेहतर कंटेंट की जरूरत है. चाहे वो फिल्म की कहानी हो या उसका संगीत, आज दर्शकों भी बॉलीवुड के कलाकार और इससे जुड़े लोगों से इन मामलों में नएपन की उम्मीद रखते हैं रीमिक्स कल्चर | अगर बात करें आज के दौर के बॉलीवुड सॉन्ग्स की तो ये उन गानों से बेहद अलग है जिसे हम बॉलीवुड के एवरग्रीन क्लासिक्स कहते हैं | हम यहां बॉलीवुड के म्यूजिक की निंदा नहीं कर रहे हैं लेकिन आज रीमिक्स और पुराने गानों को रीक्रिएट करने के नामपर जिस तरह से उन्हें बिगाड़ा जा रहा है ये बेहद अफ़सोस की बात है |


एक समय था जब व्यक्ति थक हार कर घर आने के बाद जब सिरहाने ऑडियो टेप चलाकर लता, आशा और रफ़ी के गानों को सुनता था तो पुरे दिन की थकावट मानों पलभर में मिट जाती थी क्यों उस दौर के संगीत गुणवत्ता से भरे होते थे | लेकिन आज के दौर में जहां रीमिक्स कल्चर, हिप-हॉप सॉन्ग्स को ज्यादा मान दिया जाता है, हमें लगता है कि इन शोर शराबों के बीच बॉलीवुड और इसके गानों ने अपनी मासूमियत ही खो दी है | आज ढ़ेरों बॉलीवुड एवरग्रीन सॉन्ग्स रीमिक्स के नाम पर मानो नष्ट कर दिए गए हैं | जी हां ! हम इसे नष्ट करना ही कहेंगे क्यों इन गानों ने नए वर्जन्स को सुनने के बाद हमें दुःख और अफ़सोस ज्यादा होगा | आज भी जब हम एकांत में शांत और क्वालिटी टाइम स्पेंड करना चाहते हैं तब भी हम अक्सर आज के युग के शोर शराबों वाले सॉन्ग्स की जगह बॉलीवुड के पुराने क्लासिक सॉन्ग्स को सुनना पसंद करेंगे |


हम शायद गिन न पाएं इतने ज्यादा गानों को बॉलीवुड में हमारे मौजदा म्यूजिक कंपोजर्स रीक्रिएट कर चुके हैं | इसका सबसे लेटेस्ट उदहारण है ‘हम्मा हम्मा’, ‘लैला मैं लैला’, ‘एक दो तीन’, ‘हसीनो का दीवाना’,‘दम मारो दम’ सॉन्ग | चलिए मान लीजिए अगर ये भी कहें कि इन गाने आज के दौर के अनुसार पुनर्जीवित किए गए हो तब भी क्या ये नए सॉंन्ग्स अपने ओरिजिनल वर्जन के साथ न्याय कर पाते हैं? हमारा सवाल है कि क्या दर्शक इन गानों को पसंद करते हैं? इन रीक्रिएटेड सॉन्ग्स पर दर्शकों की क्या राय है? हम ये नहीं कहते हैं कि ये सभी गाने बेकार होते हैं लेकिन इनमें ज्यादतर गाने रीक्रिएट होने के चलते अपनी महक खो देते हैं और कई बार अपने मीडिया इंटरव्यूज में खुद पुराने म्यूजिक कंपोज़र्स भी कहते हैं |


हाल ही में लता मंगेशकर ने म्यूजिक कंपनियों को एक खुला ख़त लिखते हुए बॉलीवुड में रीमिक्स कल्चर को आड़े हाथ लिया | अपने ख़त में लता ने लिखा, “सच पूछिए तो इस में आपत्ती की कोई बात नहीं है। गीत का मूल स्वरूप कायम रख उसे नये परिवेश में पेश करना अच्छी बात है। एक कलाकार के नाते मैं भी ये मानती हूँ की कई गीत कई धुनें ऐसी होती है की हर कलाकार को लगता है की काश इसे गाने का मौक़ा हमें मिलता,ऐसा लगना भी स्वाभाविक है,परंतु, गीत को तोड़मरोड़ कर प्रस्तुत करना यह सरासर गलत बात है। और सुना है की ऐसा ही आज हो रहा है और मूल रचयीता के बदले और किसी का नाम दिया जाता है जो अत्यंत अयोग्य है. गाने की मूल धुन को बिगाड़ना, शब्दों में मनचाहा परिवर्तन करना या फिर नए और सस्ते शब्द जोड़ना इस तरह की बेतुकी हरकतें देख-सुन सचमें पीड़ा होती है।“


अब आप खुद ही सोचिए, विचार कीजिए कमेंट सेक्शन में हमें बताइए कि क्या रीमिक्स कल्चर और गानों को रीक्रिएट करना सही है या फिर बॉलीवुड को नए और इंटरेस्टिंग कंटेंट बनाने की जरूरत है |