Official Letsdiskuss Logo
Official Letsdiskuss Logo

Language



Blog

Seema Thakur

Creative director | Posted on |


गुलज़ार - गुल यह ज़ार ज़ार

2
0



"कोई किनारा जो किनारे से मिले वो,

अपना किनारा है |"

एक नाम है गुलज़ार जो लबों पर आता है तो ढेरो यादें आँखों के सामने आने लगती हैं, कभी मन में आता है "ऐ ज़िन्दगी गले लगा ले" तो कभी लगता है "दिल तो बच्चा है जी, हाँ थोड़ा कच्चा है जी |" गुलज़ार मानो जिन शब्दों को छूते हों वे अलंकार बन जाते हों | गुलज़ार का असली नाम सम्पूर्ण सिंह कालरा है जिन्होंने अपनी कृतियों में अपना नाम गुलज़ार रखा | बंदिनी फिल्म से एक गीतकार के रूप में उन्होंने शुरुआत की |गुलज़ार लेखक, शायर और कवि हैं, उन्होंने अबतक उर्दू, हिंदी, पंजाबी व ब्रज जैसी अन्य भाषाओ में लेखन किया है |

वर्तमान में जो हम गीत सुनते हैं उनपर पैर तो थिरकते हैं परन्तु मन को उनसे वह सुकून नहीं मिलता जो गुलज़ार के गीतों से मिलता है, चाहे फिर वह आज के हों या बीते समय के | आज भारतीय सिनेमा में दो ही व्यक्ति हैं जो उसमे उर्दू कीमिठास घोलने में सक्षम हैं और वह हैं जावेद अख्तर और गुलज़ार | गुलज़ार के अल्फाज़ो को आवाज़ देने वाले तो कई आये और कई आयंगे लेकिन आने वाले समय में गीतों को अलफ़ाज़ देने गुलज़ार नहीं आयंगे |

गुलज़ार वह व्यक्ति हैं जिनकी लिखावट में जादू और सौन्दर्य की हर वो छटा है, जिसका स्पर्श आपको ज़ार ज़ार कर देता है | निम्नलिखित गुलज़ार की कुछ चुनिंदा कृतियां हैं जो सबसे अलग सबसे हसीं हैं |


गुलज़ार - गुल यह ज़ार ज़ार