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यह बहुत ही दुखद है कि जब भी आतंकी हमला होताहै, जैसा कि पुलवामा में हुआ, तो बात घूम-फिर कर क्रिकेट, फिल्म और गायकों में आ जाती है |
फिर इसके बाद पूरा देश बात करने लगता है कि क्या भारत को पाकिस्तान के खिलाफ खेलना चाहिए? क्या भारत में पाकिस्तानी अभिनेताओं और कलाकारों को अनुमति दी जानी चाहिए?
आतंकवादियों के हमले के बाद, जवानों को खोने के बाद, बस लोग क्रिकेट और फिल्मों पर ही बात को ख़त्म करते हैं |यह राजनीतिक दलों के उद्देश्य को पूरा करता है, यह देशभक्तिवादी दिखाने के लिए मशहूर हस्तियों के उद्देश्य को पूरा करता है |
(Courtesy : Times Now )
बातचीत के ऐसे turn के साथ मुख्य समस्या तीन गुना है :-
1. क्रिकेट और पाक अभिनेताओं को कैसे रोका जाए |
2. क्या हमारे सुरक्षाकर्मियों के जीवन का नुकसान सिर्फ अभिनेता और क्रिकेट मैच के लायक है?
3. इस तरह के विषय, बहुत मुख्यधारा, वास्तविक समाधानों से सभी ध्यान हटाते हैं।
अगर भारत विश्व कप 2019 में पाकिस्तान के खिलाफ न खेलने का फैसला करता है, तो क्या? क्या यह मदद करेगा? क्या यह किसी को भी कोई असाधारण संदेश भेजेगा, जिसके बारे में पाकिस्तान और दुनिया को पहले से पता नहीं है? क्या इससे पाकिस्तान को वैश्विक मंच पर पहुंचाने में मदद मिलेगी?
इन सभी सवालों के जवाब में सिर्फ एक ही शब्द है और वो है - "नहीं"
(Courtesy : Cricket World )
अब, यदि भारतीय क्रिकेट टीम विश्व कप 2019 में पाकिस्तान के खिलाफ खेलती है, तो खिलाड़ियों को 'राष्ट्र-विरोधी' कहा जाएगा | भारत में राष्ट्रवाद और प्रचार की ऐसी ऊंचाई है , यदि आप विलुप्त होने वाले विंग के कुछ समूहों के लिए अनुबंध में नहीं हैं, जो स्पष्ट रूप से सोशल मीडिया प्लेटफार्मों पर हावी हैं, तो आपको मानसिक और शारीरिक यातना का खतरा हो सकता है |
तो, क्या आपको लगता है कि अगर भारतीय टीम पाकिस्तान के खिलाफ खेलने का फैसला करती है, तो वे घातक हमलों से बच जाएंगे | मेरे ख़याल से शायद नहीं |
वस्तुतः आतंकवाद और क्रिकेट को मिलाने की कोई आवश्यकता नहीं है। यह देश के लिए किसी भी प्रकार की मदद नहीं करता और यह सब करना बहुत ही बेतुका साबित होगा |
(Courtesy : Samaa TV )
आतंकवाद का समाधान क्रिकेट और बॉलीवुड के पास नहीं है, और राजनीतिक दलों को यह जानने से कोई मतलब नहीं है कि वास्तव में क्या हो रहा है ? वे सिर्फ मतदाताओं से अपील करने के लिए राष्ट्रवाद की आड़ में छिपते हैं | इसका समाधान सरकार के पास है | इसलिए, उन पर दबाव डाले बिना, हमें उन्हें उस स्थिति को संभालने देना चाहिए, जो की पूरी तरह से उचित है |
सोशल मीडिया का काम सिर्फ इतना रह गया कि वह जवानों के नुकसान पर शोक व्यक्त करें और किसी भी गलती की वजह को न समझते हुए उस गलती को और बढ़ावा दे | सोशल मीडिया को यह काम करना चाहिए कि उसको अपने काम के ज़रिये आतंकवाद के खिलाफ ऐसी आवाज़ उठाना चाहिए जिससे सरकार उनके ख़िलाफ़ कोई सख्त कार्यवाही करें और इस तरह देश से आतंक का नामो निशान मिट जाए |
जवानों को उनका सम्मान दें। उनकी मांगों में उनका समर्थन करें। उनकी जरूरतों के लिए वहाँ रहें। उनके विरोध और मार्च में शामिल हों। लेकिन
उनका इस्तेमाल अपनी राजनीतिक दलों की मदद के लिए नहीं करें |
कौन परवाह करता है कि क्या भारत वर्ल्डकप 2019 में पाकिस्तान के खिलाफ खेलेगा !!! इससे कोई फर्क नहीं पड़ता आइए क्रिकेट और फिल्मों जैसे आसान आउटलेट को इतना गंभीर न बनाएं |
(Courtesy : sportskeeda.com )