Official Letsdiskuss Logo
Official Letsdiskuss Logo

Language



Blog

asha hiremath

| Posted on | Education


कैसा अद्भुत खेल है ‘मन’ का?

0
0



मन के जीते जीत है, मन के हारे हारः

मन दिखाई ना देते हुए भी सबसे तेज गति से सोचने विचारने में आगे हैं।

आप अभी जहां बैठे हैं उससे करोड़ों मील दूर स्थित स्थान पर मन के द्वारा तुरंत पहुंच जाते हैं। कहावत भी है ‘मन के जीते जीत है, मन के हारे हार’। इससे पता लगता है कि मन सब कुछ करने में समर्थ है। मन में जीत की कल्पना कीजिए और आपकी जीत सुनिश्चित है। मन में जीत के विषय में आशंका कीजिए तो हार भी सुनिश्चित है।

मन के होने के कारण ही हम मनुष्य कहलाते हैं। यह सुख और दुःख की रचना करता है। मन के अनुरूप ही मनुष्य होता है। शुभ अशुभ कर्मों का कारण भी यही है। मन को साधलेने पर सभी सहा जाता है। साधना का मूल यही मन है। शारीरिक रोगों का कारण भी मन ही है। मन को शुद्ध एवं पवित्र कर शरीर को निरोग एवं स्वस्थ किया जा सकता है। हम अपने शारीरिक स्वास्थ्य को भावनात्मक, मानसिक एवं आध्यात्मिक स्थितियों से पृथक नहीं कर सकते। सभी स्तर अंतर्सबध्द है। रोग हमारी चिंताओं, मानसिक तनावों, विरोधों, व अन्य स्तरों की असमानताओ के परिणाम होते हैं। इसीलिए जब हम बीमार पड़ते हैं तो यह हमारी भावनात्मक अंतर्दृष्टि संबंधी अनुभूतियों, हमारे विचारों और दृष्टिकोणों के लिए एक संदेश होता है।

कैसा अद्भुत  खेल है ‘मन’ का?

शरीर और मस्तिष्क में निरंतर संवाद चलता रहता हैः

शरीर और मस्तिष्क में निरंतर संवाद चलता रहता है। शरीर भौतिक विश्व को देखता है और इसके संबंध में मस्तिष्क को संदेश भेजता है। मस्तिष्क उन दृश्यों और अपने पिछले अनुभवों के अनुसार उचित क्रिया का निर्धारण करता है। यदि चेतन तथा अचेतन मन की प्रणाली कहती है कि किसी विशेष अवस्था में बीमार पड़ना उचित है तो वह शरीर को वैसा संदेश दे देता है और शरीर में रोग के लक्षण नजर आने लगते हैं और वह वास्तव में बीमार पड़ जाता है। इसीलिए सारी प्रक्रिया हमारे अपने विषय में बनी अवधारणा से गहनता से जुड़ी हुई है।

मन का रचनात्मक उपयोगः

मन का रचनात्मक उपयोग हमें यह विधि बताता है कि हम किस प्रकार अपने मन की बात को अपने शरीर तक पहुंचाएं। मन के रचनात्मक उपयोग में सकारात्मक विचारों और कल्पनाओं को शरीर तक पहुंचाया जाता है। एक विशेष परिस्थिति में यदि मस्तिष्क के विश्वास की प्रणाली कहती है कि बीमार होना उचित या अपरिहार्य है तो यह शरीर को वैसा ही संकेत दे देगा और शरीर बीमारी के चिन्ह प्रकट करने लगेगा। और वह वास्तव में बीमार हो जाएगा। इसलिए संपूर्ण प्रक्रिया हमारी अवधारणाओं से एवं विचारों से गहनता से जुड़ी हुई है।

मनोविश्लेषणवादी मनोवैज्ञानिकों के अनुसारः

मनोविश्लेषणवादी मनोवैज्ञानिकों के अनुसार हमारी सचेतन अवस्था से गहरी एक अन्य चेतना हो जो अचेतन अवस्था कहलाती है। अमेरिकी वैज्ञानिकों डॉ. पाल मेकलीन. डॉक्टर जोसे डैलगेडी आदि ने गहन विश्लेषण कर निष्कर्ष निकाला कि भावनाएँ शारीरिक व मानसिक स्वास्थ्य को अत्यधिक प्रभावित करती हैं। मन की सामर्थ्य का असाधारण पक्ष वह है जिसके द्वारा समस्त व्यक्तियों एवं वस्तुओं को आकर्षित करते हैं।

रूसी महिला रोजा मिखाइलोवाः

रूसी महिला रोजा मिखाइलोवा अपनी इच्छा शक्ति से जड़ वस्तुओं में हलचल पैदा करने के कितने ही प्रदर्शन कर चुकी है। पत्रकारों के समक्ष एक बार उन्होंने दूर मेज पर रखी डबलरोटी को निर्निमेष दृष्टि से देखा और जैसे ही मुँह खोला डबलरोटी अपने आप मेज पर से उठी और मिखाइलोवा के मुँह में जा पहुंची। इस तरह से अनेक अपनी कलाकारी से सभी को अचंभित करती है।

मनोविज्ञान शास्त्रियों का कथनः

मनोविज्ञान शास्त्रियों का कथन है कि मन का नियंत्रण करने से एक महान सूक्ष्म बलवती शक्ति उत्पन्न होती है जिसका परिचय होना अलपज्ञ मनुष्यों को दुष्कर है।