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संघर्ष की परिभषा
जीवन में सफलता पाने के दो रास्ते होते हैं, पहला रास्ता वह है जहाँ आपको सफलता अपनी विरासत में मिलती है और दूसरा रास्ता वह है जहाँ आपको संघर्ष करना पड़ता है | विरासत में मिली सफलता में ख़ुशी होती है परन्तु सुकून नहीं और संघर्ष में मिली सफलता आपको ख़ुशी और सुकून दोनों देती है | मैंने कभी विरासत में मिली सफलता में यकीन नहीं किया और करूँ भी क्यों, मुझे अपनी विरासत में कोई सफलता नहीं मिली |
संघर्ष से अभिप्राय
संघर्ष की विभिन्न परिभाषाएं हैं, किसी के लिए हर दिन मेट्रो में धक्के खाकर कॉलेज पहुंचना संघर्ष है, किसी के लिए हर दिन बॉस की डाँट खाना संघर्ष है तो किसी के लिए अपने खर्चो को कम कर देना संघर्ष है | परन्तु संघर्ष क्या इतना छोटा होता है की मेट्रो की AC की हवा में सफर करना आपको संघर्ष लगने लगता है, या गलती करके उस boss की डाँट खाना आपको संघर्ष लगने लगता है जो आपको हर महीने एक मोटी नोटों की गड्डी आपके हाथो में थमाती हैं ?संघर्ष वह है जब आपकी नींदे उड़ जाती है उस एक सपने को पूरा करने में जिसके लिए जाने कितनी ही रातें आपने जाग -जागकर निकाली है, संघर्ष वह है जब चारो तरफ से रास्ते बंद होने पर भी आपने खुद को टूटने नहीं दिया ओर अँधेरे में गिरते हुए भी आगे बढ़े है, संघर्ष वह है जब जेब में पैसे न होने पर भी आपने अपने सपने को टूटकर बिखरने नहीं दिया , संघर्ष वह है जब आप अपनी ज़िन्दगी को जीना छोड़ देते है परन्तु अपने सपनो के लिए मेहनत करना नहीं |
संघर्ष की कहानी
आइये आपको एक कहानी सुनाती हूँ | इस व्यक्ति को शायद आप जानते होंगे | उत्तर प्रदेश के एक किसान के घर पैदा होने से ही गरीबी ने उनका हाथ पकड़ लिया था | हरिद्वार से ग्रेजुएशन की और बरोदा में केमिस्ट की नौकरी | फिर दिल्ली आये तो एक मामूली सी वॉचमैन की नौकरी मिली जिससे यहाँ वहाँ धक्के खाने से ज्यादा कुछ हाथ नहीं लगा | यह वह वक़्त था जब इन्होने अभिनय करना शुरू किया | इन्होने दिल्ली में रहते हुए अनेक नाटकों में अभिनय किया और इसी दौरान दिल्ली के नेशनल स्कूल ऑफ़ ड्रामा में दाखिला लिया और डिग्री हासिल की | इसके बाद वह मुंबई अभिनेता बनने की चाह लेकर गए, वहाँ सपने हर कोने में थे और सफलता का द्वार केवल एक था | सालो के संघर्ष ने उन्हें फिल्मो में छोटे छोटे रोल तो दिलाये परन्तु उनकी गरीबी से उन्हें निकाल नहीं पाया | पहली फिल्म जब उन्हें एक अभिनेता के रूप में सराहना मिली वह फिल्म थी पीपली लाइव | जी हाँ ! वह नवाज़ुद्दीन सिद्दीकी ही हैं जिनके विषय में हम बात कर रहे हैं |
नवाज़ुद्दीन सिद्दीकी का जीवन प्रेरणा का वो दीया है जिसने अन्धकार में बिना किसी तीली के खुद को रोशन किया है | यह संघर्ष ही है जिसने उन्हें इस मुकाम पर पहुँचाया जहाँ से पीछे मुड़कर उन्होंने नहीं देखा | कितनी ही फिल्मों में मुख्य किरदार की भूमिका निभाने वाले नवाज़ुद्दीन सिद्दीकी आज भारत के सर्वश्रेठ कलाकारों में गिने जाते हैं |
संघर्ष बेहद कठिन है, यह आपको बार बार गिराता है, बार बार हार से सामना कराता है , परन्तु संघर्ष तभी महत्त्व है जब आप उसे सफलता में बदलते हैं | सफलता यकीनन मुश्किल है और नामुमकिन नहीं है | सफलता कई रूपों में आती है परन्तु संघर्ष का केवल एक रूप है और वह है मेहनत | जब आप अपने बड़े बड़े सपनो को पूरा करने के लिए छोटे छोटे कदम उठाते है और अपने दुखों को, सुख पाने की चाह में सहते हुए आगे बढ़ते हैं तो यकीनन आप संघर्ष करते है, और संघर्ष सफलता की वह सीढ़ी है जो आपको "सुकून" प्रदान करती है |