भागवतगीता के 13 वें अध्याय में भगवान कृष्ण को सम्बोधित करते हुए अर्जुन कहता है "हे ऋषिकेश, आपको मैंने जाना ही कहाँ था ? ऋषिकेश का अर्थ है 'योगियों में श्रेष्ठ' । ऋषिकेश जो है वो केवल भारत का ही नहीं बल्कि पूरे विश्व की योग राजधानी है । यह सदा से योग अभ्यासियों की अभ्यास भूमि, तपोभूमि रहा है । पिछले कुछ सालों में अनेको अनेको आश्रम ऋषिकेश में बनते चले गए ।
आज भी नए आश्रमों का उद्भव होता जा रहा है, पुराने आश्रम ठन्डे पड़ रहे हैं । मुख्य योग गुरु के ना रहने से योग का अभ्यास वहाँ शांत हो गया, और ऐसे ऐसे नए नए आश्रम भी बनते रहे और पुराने आश्रम गायब होते रहे । जैसे महर्षि महेश योगी का ट्रान्सिडेंटल योग सेंटर बहुत ही अच्छे लेवल पर था, परन्तु उनके निधन के बाद आज संस्था में योग सीखने का प्रचलन ख़त्म हो रहा है, न ही अध्यापक हैं उनके पास ।
सब अपने अपने व्यापार में लगे हुए हैं । ऋषिकेश भी आज के समय में योग सीखने की राजधानी तो है और योग का अभ्यास भी ज्यादा होता है, परन्तु दुकाने अत्यधिक खुल गयी हैं । आपको बहुत परिश्रम करना होगा अच्छे योग गुरु को खोजने के लिए वहाँ । केवल जलनिधि सिखा कर, शरीर की तोड़ मड़ोड़ सिखाने वाले ऐसे ढेरो योगगुरु वहाँ हैं । अनेको दिन अखबारों में भी प्रचार होता है, अखबारों में भी खबरे आती हैं कि योगगुरु ने अपने शिष्यों से अभद्र व्यवहार किया, बलात्कार किया ।
योग का अब्यास था ऋषिकेश में, आज भी है ऋषिकेश में, लेकिन जब भी किसी ज्ञान में वृद्धि होती है तो उसके भ्रम में भी वृद्धि होती है । ज्ञान और भ्रम एक साथ बढ़ते हैं ।