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Rohit Valiyan

Cashier ( Kotak Mahindra Bank ) | Posted on | Share-Market-Finance


Risk Premium की गणना कैसे की जाती है ?


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Accountant, (Kotak Mahindra Bank) | Posted on


डिफ़ॉल्ट जोखिम प्रीमियम को परिभाषित करना हो तो एक सिम्पल उदाहरण काम करेगा।मान लीजिए किसी व्यक्ति की मार्केट में छवि खराब है या कोई व्यक्ति पहली बार किसी के पास ऋण लेने पहुंचे तो हो सकता है की उसे ऋण पर ज्यादा ब्याज के साथ साथ कुछ चीज गिरवी भीर खनी पड़े।इसी तरह कुछ बोंड ऐसे भी हैं जैसे जंक बोंड जिनमें निवेश पर रिस्क या जोखिम तो ज्यादा है परन्तु उन से रिटर्न ओन इन्वेस्ट में भी अधिक है|


इस तरह डिफॉल्ट रिस्क प्रीमियम वह अतिरिक्त पैसा है, जो किसी ऋण दाता को प्राप्त होता है जब यदि उधार लेने वाला ऋण वापस न चुका पाए। आर्थिक मार्केट में यह ज्यादातर बोंड पर लागू होता है।कई फर्मो को बोंड पर निवेश पाने के लिए अधिक ब्याज का भुगतान करना पड़ता है।उसी तरह जैसे खराब क्रेडिट स्कोर वाले व्यक्ति को बैंक या अन्य क्रेडिट ऋण एजेंसी ज्यादा ब्याज दर पर ऋण देती है क्योंकि उन्हें वह पैसा वापस आने की उम्मीद कम होतीहै क्योंकि ऋण लेने वाला कभी डिफॉल्टर रहा हो गाया पहली बार बैंक से ऋण लेने पहुंचा होगा।


इस तरह हर एक बोंड पर रिटर्न उसके अनुमानित जोखिम पर निर्भर करता है। डिफॉल्ट रिस्क बढ़ता है क्योंकि यह माना जाता है की वह बोंड अपेक्षित रिटर्न नहीं दे पाएगा।इन्वेस्टर अधिक जोखिम वाले बोंड में निवेश करें इसलिए उन्हें ज्यादा रिटर्न का विश्वास दिलाया जाता है और एक अनुमानित भुगतान का वादा किया जाता है।

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