देश का आर्थिक हाल रोजाना बद से बदतर हो रहा है, वहीं महाराष्ट्र की भाजपा सरकार ने शिवसेना के दिवंगत नेता बाल ठाकरे की प्रतिमा बनाने के लिये 100 करोड की राशी का ऐलान किया है। यह बात सही है की बाल ठाकरे महाराष्ट्र के बहुत उच्च कोटी के नेता थे जो की आम प्रजा में बहुत ही प्रसिद्ध थे। यहां सवाल बाल ठाकरे की प्रतिमा का न होकर सरकार के फ़ैसले का है।
वर्तमान केन्द्र सरकार भी जैसे प्रतिमा बनाने की स्पर्धा का आयोजन कर रही हो वैसे स्टैच्यु ओफ़ युनिटी का निर्माण कर चुकी है और अरबी समुद्र में शिवाजी महाराज की प्रतिमा का कार्य भी जोरो से चल रहा है।
सौजन्य: दिव्य मराठी
इस से पहेले भी सरकार को जीएसटी लागु करवाने के लिये काफ़ी खर्च करना पडा है जिस से देश को या आम इंसान को कोइ फ़ायदा नही मिला है।
वहीं बीना सोचे समजे लिया गया नोटबंदी का फ़ैसला भी अर्थतंत्र को काफ़ी भारी पडा है और सरकार को 21000 करोड रुपये का नुकसान उठाना पडा है। शिव स्मारक ( शिवाजी की प्रतिमा) की लागत करीबन 2800 करोड आयेगी वहीं स्टैच्यु ओफ़ युनिटी के लिये 2900 करोड खर्च हो चुके है और अब बाल ठाकरे की प्रतिमा के लिये और खर्च।
यहां सवाल ये उठता है की इस तरह की प्रतिमा और अन्य खर्च से देश को क्या कोइ फ़ायदा होगा? क्या हमारे देश में स्वास्थ्य, कल्याण, रोजगार, कृषि, सेनीटेशन, ड्रिंकिंग वाटर, फ़ूड, रास्ते और लघु उध्योग क्षेत्र नही है, जिनको राशी की काफ़ी जरुरत है और जिस से आम इन्सान को भी फ़ायदा होगा। ये सारा खर्च अगर अन्य क्षेत्रो में किया जाता तो शायद जो बदलाव एक आम हिन्दुस्तानी देश में चाहता है वो दीखता, पर शायद सरकार के पास विजन नही है की वो यह देख पाये या फ़िर उस को पता ही नही है की देश में हो क्या रहा है।