झाँसी की रानी जिनका नाम देश के वीरों में गिना जाता है | भारत देश में वीर पुरुषों के साथ-साथ महिलाएं भी जन्मी है | यह देश पहले भी वीरों का ही था और आज भी वीरों का ही है | फर्क सिर्फ इतना है कि पहले अंग्रेजों से लड़कर आज़ादी पाई और आज भारत देश को बचाने के लिए आतंकवाद से लड़ रहे हैं | परन्तु वीरों में कमी कभी नहीं आई |
“बुंदेले हरबोलों के मुँह हमने सुनी कहानी थी,
खूब लड़ी मर्दानी वह तो झाँसी वाली रानी थी”
बचपन से सुनते आये हैं और साथ ही इन शब्दों हमेशा हमेसिन जोश की भावना नज़र आई है | इन शब्दों ने वर्तमान समय में भी लड़कियों को हमेशा जोश दिया और आज भी अगर कोई लड़की किसी ग़लत काम के खिलाफ आवाज उठाती है तो उसको झांसी की रानी नाम से ही सम्बोधित किया जाता है |
आपको मणिकर्णिका झाँसी की रानी लक्ष्मीबाई के बारें में कुछ खास बातें बताते हैं -
- रानी लक्ष्मी बाई जन्म 19 November 1828 को उत्तर प्रदेश के वाराणसी जिले में हुआ |
- इनके पिता मोरोपंत ताम्बे जो की एक मराठी थे और वे बाजीराव की सेवा में कार्यरत थे |
- इनकी माता भागीरथी सापरे जो की धार्मिक विचारों की महिला थी जिनका पूरा प्रभाव महारानी लक्ष्मी बाई देखने मिला |
- जब यह 4 वर्ष की थी तब इनकी माँ का देहांत हुआ और उसके बाद इनका पालन पोषण इनके नाना के घर पर हुआ |
- लक्ष्मी बाई की परवरिश का पूरा जिम्मा उनके पिता पर आ गया, जी कारण वह लक्ष्मी बाई को अपने साथ पेशवा के दरबार में ले जाने लगे |
- वहां पेशवा के बेटे को इनके पिता अस्त्र-शास्त्र की शिक्षा देते थे | रानी लक्ष्मी बाई ने अपने पिता से शास्त्र शिक्षा प्राप्त की |
- लक्ष्मी बाई का नाम मणिकर्णिका था जिसके लिए लोग प्यार से इन्हे मनु बुलाया करते थे |
(Courtesy : वेबदुनिया )