चंद्र ग्रहण और सूर्य ग्रहण लगने का कारण क्या हैं? - letsdiskuss
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Shivani Patel

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चंद्र ग्रहण और सूर्य ग्रहण लगने का कारण क्या हैं?


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आपने चंद्र ग्रहण और सूर्य ग्रहण के बारे में तो जरूर ही सुना होगा, चलिए आज हम आपको चंद्र ग्रहण और सूर्य ग्रहण लगने का कारण बताते हैं। भौतिक विज्ञान की दृष्टि से चंद्र ग्रहण एक खगोलीय स्थिति होती हैं। चंद्र ग्रहण तब होता हैं, जब पृथ्वी सूर्य के चारों ओर घूमती है और चंद्रमा पृथ्वी का चक्कर लगाता है। इस प्रक्रिया में एक ऐसा भी समय आता है जब चंद्रमा पृथ्वी और सूर्य एक सीध रेखा पर आ जाते हैं। इस स्थिति में सूर्य का प्रकाश पृथ्वी पर पड़ता है, लेकिन चंद्रमा तक नहीं पहुंच पाता इसी घटना को चंद्र ग्रहण कहते हैं। अधिकतर चंद्र ग्रहण पूर्णिमा के दिन ही लगता है। चंद्र ग्रहण का प्रकार एवं अवधि चंद्र आसन्धियों के सापेक्ष चंद्रमा की स्थिति पर निर्भर करता हैं। चंद्रमा के इस रूप को 'ब्लड मून' भी कहते हैं। चंद्र ग्रहण लगने पर चंद्रमा का रंग शुरू होने के बाद यह पहले काले और फिर धीरे-धीरे सुर्ख लाल रंग में बदल जाता है।

सूर्य ग्रहण तब लगता है जब सूर्य और पृथ्वी के बीच चंद्रमा आ जाता है तो चंद्रमा के पीछे सूर्य का बिम्ब कुछ समय के लिए ढक जाता है, इस घटना को सूर्य ग्रहण कहते हैं। पृथ्वी सूरज की परिक्रमा करती है और चंद्रमा पृथ्वी की परिक्रमा करता है। कभी-कभी चंद्रमा, सूरज और धरती के बीच आ जाता है। तो फिर वह सूरज की कुछ यह सारी रोशनी रोक लेता हैं। जिससे उसकी परछाई धरती पर पढ़ने लगती है तो वह सूर्य ग्रहण कहलाता । इस दौरान जहां परछाई पड़ रही होगी वहां के लोग आसमान को आधा या पूरा ढका हुआ पाएंगे। यह एक ऐसा सूर्य ग्रहण होता है, जिसमें चंद्रमा धरती से दूर होता है। ऐसे में यह सूर्य को पूरी तरह नहीं ढक पाता, जिससे आसमान में आग की रिंग के समान सूर्य की आकर दिखाई देने लगता है। सूर्य ग्रहण लगने पर सूर्य का रंग लाल हो जाता है. सूर्य ग्रहण की घटना हमेशा अमावस्या के दिन ही घटती है।

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