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दोस्तो, माउंट एवरेस्ट, कैलाश पर्वत से भी ऊँचा है , फिर भी माउंट एवरेस्ट पर कई लोगो ने चड़ाई की और जीत हासिल की लेकिन कैलाश पर्वत पर आज तक कोई नहीं चड़ पाया। आखिर ऐसा क्यु? कैलाश पर्वत को लेकर कई सवाल है उनके जवाब को जानने के लिए 2015- 16 के बीच अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी नासा ने गूगल अर्थ और सेटेलाइट की मदद से कैलाश पर रिसर्च शुरू की । कैलाश पर्वत की संरचना कम्पास के 4 दिक् बिंदुओं के समान है और एकांत स्थान पर स्थित है जहाँ कोई बड़ा पर्वत नही है। नासा की टीम ने कैलाश पर्वत पर कई बार सात तरह के प्रकाश आसमान में देखे। नासा का ऐसा मानना है कि यहाँ चुम्बकीय बल है और आसमान से मिलकर वह कई बार इस तरह की चीजों का निर्माण करता है।
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कैलाश पर्वत, जिसे भारत, नेपाल, तिब्बत और चीन के बीच स्थित एक पवित्र पर्वत माना जाता है, सदियों से रहस्यों और किंवदंतियों का केन्द्र रहा है। यह पर्वत न केवल भूगोलिक दृष्टिकोण से महत्वपूर्ण है, बल्कि धार्मिक और सांस्कृतिक महत्व के कारण भी इसकी उपेक्षा नहीं की जा सकती। कैलाश पर्वत का संबंध विशेष रूप से हिंदू धर्म, बौद्ध धर्म, जैन धर्म और बों धर्म से जुड़ा हुआ है। इसे भगवान शिव का निवास स्थान माना जाता है और इसे एक दिव्य स्थान के रूप में पूजा जाता है।
कैलाश पर्वत पर नासा की टीम द्वारा किए गए शोध और निरीक्षण ने एक नई चर्चा को जन्म दिया है। हालांकि, यह शोध और जांच कोई धार्मिक या आध्यात्मिक उद्देश्य से नहीं की गई थी, बल्कि यह वैज्ञानिक दृष्टिकोण से किया गया था। नासा की टीम ने कैलाश पर्वत पर कुछ अजीब और दिलचस्प तथ्यों का खुलासा किया, जो इसे एक और रहस्यमयी स्थल के रूप में प्रस्तुत करते हैं।
नासा की टीम कैलाश पर्वत की ओर अपनी यात्राओं में वैज्ञानिक दृष्टिकोण से अधिक गहरे अध्ययन करने के लिए भेजी गई थी। उनका मुख्य उद्देश्य पर्वत के आसपास के पर्यावरणीय और भौगोलिक संरचनाओं का विश्लेषण करना था। नासा की तकनीकों और उपग्रहों का उपयोग करते हुए, टीम ने पर्वत की छायाएँ, उसकी ध्रुवीय आरेखन (Polar Alignments), और उसे घेरे हुए अन्य प्राकृतिक विशेषताओं पर ध्यान केंद्रित किया।
नासा ने अपने उपग्रहों और ड्रोन तकनीक की मदद से पर्वत के ऊपर और उसके आसपास के क्षेत्र का विस्तृत सर्वेक्षण किया। इसके माध्यम से, पर्वत की भौगोलिक स्थिति, वहां की जलवायु, पर्यावरणीय परिवर्तन और भूमि उपयोग के बारे में विस्तृत आंकड़े एकत्रित किए गए।
कैलाश पर्वत का आकार और भूगोल वैज्ञानिकों के लिए आकर्षण का विषय रहा है। पर्वत की गुफाओं, घाटियों और अन्य भू-आकृतियों का विश्लेषण करने के दौरान नासा की टीम ने पाया कि इस पर्वत की संरचना बाकी पर्वतों से अलग और अद्वितीय है।
इसके अलावा, कैलाश पर्वत का शिखर लगभग 6,638 मीटर (21,778 फीट) की ऊंचाई पर स्थित है, और यह एक अत्यधिक अव्यवस्थित और शिखर के साथ ऊँचा पर्वत माना जाता है। उसकी चोटी पर स्थित विशेष कोण और आरेखन (alignment) ने नासा के वैज्ञानिकों को चौंका दिया। पर्वत की चोटी से कुछ खास दिशा में परावर्तन और भूमिगत जलवायु परिवर्तन के कारण, यह पर्वत अन्य पर्वतों से भिन्न प्रतीत होता है।
नासा की टीम ने कैलाश पर्वत के चारों ओर चुम्बकीय और विद्युत क्षेत्र के असामान्य संकेतों का पता लगाया। कैलाश पर्वत के ऊपर एक विशिष्ट ऊर्जा क्षेत्र देखा गया, जो पर्वत के आसपास के वातावरण को प्रभावित कर रहा था। नासा के वैज्ञानिकों के अनुसार, यह चुम्बकीय प्रभाव या विद्युत ऊर्जा किसी अन्य पहाड़ी क्षेत्र में देखने को नहीं मिलता। यह संकेत इस बात को भी उजागर करते हैं कि पर्वत के आस-पास का क्षेत्र प्राकृतिक और भौगोलिक दृष्टिकोण से असामान्य हो सकता है।
इसके अलावा, शोध से यह भी पता चला कि कैलाश पर्वत के आस-पास का जलवायु और मौसम सामान्य नहीं था। कुछ उपग्रह चित्रों में पर्वत की चोटी से आकाशीय मौसम और बादलों का गठन अन्य पर्वतों से अलग और अजीब था। इन आंकड़ों से यह संकेत मिलता है कि पर्वत का मौसम और उसका भूगोल किसी कारणवश अत्यधिक परिवर्तित हो सकता है।
कैलाश पर्वत को न केवल धार्मिक दृष्टिकोण से महत्वपूर्ण माना जाता है, बल्कि वैज्ञानिक दृष्टिकोण से भी यह रहस्यमय है। नासा ने पर्वत की संरचना, उसकी दिशा और शिखर के आकार पर गहन अध्ययन किया। एक संभावना यह भी है कि कैलाश पर्वत का आकार और स्थान ऐसे ढंग से स्थापित हैं, जो पौराणिक कथाओं के अनुरूप हैं।
हिंदू धर्म में यह कहा गया है कि कैलाश पर्वत भगवान शिव का निवास स्थान है और यह पूरे ब्रह्मांड के केंद्र में स्थित है। बौद्ध धर्म में इसे 'माउंट मेरू' के रूप में पूजा जाता है, जो ब्रह्मांड का ध्रुवीय केंद्र है। इन धार्मिक मान्यताओं का वैज्ञानिक दृष्टिकोण से विश्लेषण करना नासा की टीम के लिए एक चुनौतीपूर्ण कार्य था, लेकिन उनके निष्कर्षों ने यह स्पष्ट किया कि कैलाश पर्वत का स्थान और उसका आकार वास्तव में किसी प्रकार के प्राकृतिक और सांस्कृतिक महत्व से जुड़ा हुआ है।
नासा की टीम ने कैलाश पर्वत पर कई प्रकार के प्रयोग किए, जिनमें से कुछ प्रमुख निम्नलिखित थे:
सेटेलाइट इमेजिंग: नासा ने उपग्रहों से पर्वत की विभिन्न कोणों से इमेजिंग की। इससे पर्वत की भू-आकृति, उसका आकार, और उसके आसपास के वातावरण के बारे में गहन जानकारी मिली।
चुम्बकीय अध्ययन: नासा ने कैलाश पर्वत के आसपास के चुम्बकीय क्षेत्रों का अध्ययन किया। उन्हें ऐसे क्षेत्र मिले, जहां चुम्बकीय क्षेत्र में असामान्यता दिखाई दी। यह चमत्कारी विद्युत प्रभाव पर्वत के रहस्यमय गुण को दर्शाता है।
वातावरणीय मॉडलिंग: नासा ने कैलाश पर्वत के ऊपर और नीचे के मौसम और जलवायु के बारे में विश्लेषण किया। इसके परिणामस्वरूप पर्वत के ऊपर की जलवायु में असामान्य बदलाव और संरचनात्मक परिवर्तन देखने को मिले।
नासा की टीम द्वारा कैलाश पर्वत पर की गई रिसर्च ने एक नई दिशा में शोध को प्रेरित किया है। हालांकि, यह वैज्ञानिक रिसर्च किसी धार्मिक या आध्यात्मिक उद्देश्य से नहीं की गई थी, लेकिन इसके परिणामों ने यह स्पष्ट किया कि कैलाश पर्वत का स्थान और उसकी भौगोलिक संरचना कई रहस्यों को समेटे हुए है।
इन शोधों के आधार पर, कैलाश पर्वत के महत्व को एक बार फिर से वैज्ञानिक दृष्टिकोण से देखा जा सकता है। भविष्य में इससे जुड़ी अधिक जानकारी और डेटा प्राप्त करना संभव हो सकता है, जो न केवल भूगोल, जलवायु या पर्यावरण के बारे में नई जानकारी देगा, बल्कि यह मानवता के विभिन्न सांस्कृतिक और धार्मिक दृष्टिकोणों को भी समझने में मदद करेगा।
कैलाश पर्वत पर नासा की टीम द्वारा किए गए शोध ने यह सिद्ध कर दिया है कि यह पर्वत न केवल धार्मिक दृष्टि से, बल्कि वैज्ञानिक दृष्टिकोण से भी अद्वितीय और महत्वपूर्ण है।