ई-सिम - इंबेडेड सब्सक्राइबर आइडेंटिटी मॉड्यूल सिम की तरह ही होती है परन्तु यह सिम के विपरीत सॉफ्टवेयर के जरिए काम करती है | इसके जरिये यूजर को मोबाइल खरीते वक्त नै सिम नहीं खरीदनी पड़ेगी और इससे मोबाइल पोर्टेबिलिटी भी आसान हो जाएगी क्योंकि पोर्टेबिलिटी के वक्त यूजर को सिम नहीं बदलनी पड़ेगी |
अभी इस नई तकनीक का प्रयोग सिर्फ रिलायंस जिओ और एयरटेल स्मार्ट वाच में ही हो रहा है | जल्द ही इसे मोबाइल फ़ोन में भी प्रयोग में लाया जायेगा | भारतीय टेलीफोन डिपार्टमेंट ने मोबाइल कम्पनीज को इस तकनीक को लागू करने के लिए आदेश जारी कर दिए हैं |
सॉफ्टवेर पर आधारित इस तकनीक के जरिये यूजर को मोबाइल नंबर खरीदने और मोबाइल नंबर दूसरे ऑपरेटर पर शिफ्ट करने में भी आसानी होगी क्योंकिसिर्फ सॉफ्टवेर में कोड ही डालना होगा और नई सिम नहीं डालनी पड़ेगी | और सिम पोर्टेबिलिटी के लिए 7 दिनों का इन्तेजार भी नहीं करना पड़ेगा |
ऐसा भी कहा जा रहा है की ई-सिम के इस्तेमाल से फ़ोन की बैटरी की खपत भी कम होगी क्योंकि इसमें कोई फिजिकल सिम नहीं होगी | और तो और इस तकनीक के आने से, मोबाइल फ़ोन में सिम कार्ड स्लॉट कि भी जरूरत भी नहीं होगी |