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Satindra Chauhan

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फरलो नियम क्या होता है, कैसे कोई मुजरिम इसके लिए आवेदन कर सकता है ?


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Social Activist | Posted on


फरलो का अर्थ वैसे तो होता है - अनुपस्थिति की छूट मिलना। पर न्याय और कानून के शब्दों में फरलो किसी सजायाफ़्ता कैदी का वह मानवीय अधिकार है जिसके तहत उसको कुछ निश्चित समय के लिये कैद से छूट मिलती है। ताकि वह अपने परिवार और समाज से घुलमिल सके। और लगातार जेल में रहने से उसके दिलोदिमाग में छा गई नीरसता टूटे।

मिसाल के तौर पर जैसे अभी हाल ही में डेरा सच्चा सौदा के गुरमीत या बाबा रामरहीम को 28 फरवरी तक फरलो के तहत ही जेल से आज़ादी मिली हुई है। फरलो में अधिकतम चौदह दिनों तक कैद से मुक्ति का नियम है। पर गुरमीत बाबा रामरहीम को अपवादस्वरूप पहली बार सात फरवरी से अठ्ठाईस फरवरी तक कुल इक्कीस दिनों का अवकाश फरलो के तौर पर मिला है।

फरलो से संबंधित नियम और आवेदन --

अक्सर हम पैरोल और फरलो को लेकर भ्रमित हो जाते हैं। पर ये दोनों अलग-अलग प्रावधान हैं। पैरोल किसी ठोस कारण के आधार पर विचाराधीन अथवा सजायाफ़्ता किसी भी तरह के कैदी को कितनी ही बार मिल सकता है। जबकि फरलो अकारण भी मिल सकता है पर इसका नियम सिर्फ़ सजायाफ़्ता अपराधियों के लिये होता है, यह प्रावधान विचाराधीन कैदियों के लिये नहीं है। फरलो साल में अधिकतम तीन बार मिलता है।

पैरोल की तरह ही फरलो भी कारागार अधिनियम--1894 पर आधारित है। चूंकि कारागार राज्यों का विषय है, इसलिये हर राज्य में इससे संबंधित अपने-अपने नियम हैं। जैसे कि उत्तर-प्रदेश में पैरोल की व्यवस्था तो है पर फरलो का प्रावधान ही नहीं है। वहीं कई राज्यों में वर्ष भर में तीन-तीन बार फरलो दिया जाता है।

फरलो की सहूलियत पाने के लिये जेल के सुपरिटेण्डेंट के पास आवेदन करना होता है। और वह इसे नामंज़ूर भी कर सकता है। इस नामंज़ूरी की वज़ह यह हो सकती है कि अपराधी का अपराध बहुत संवेदनशील किस्म का हो अथवा वह व्यक्ति बाहर निकलने पर समाज के लिये ख़तरा बन सकता हो। या उसके फरार हो जाने की संभावना हो। इन सब वज़हों के बाधक न बनने पर जेल में कैदी के अच्छे व्यवहार के आधार पर उसे प्रशासन द्वारा फरलो की सुविधा प्रदान कर दी जाती है। इस संबंध में सितंबर 2020 में केंद्रीय गृह मंत्रालय ने महत्वपूर्ण गाइडलाइन्स ज़ारी की थी।

अमूमन लंबी सजा पाये हुये लोग जब अपनी आधी या कम से कम तीन साल की सजा काट लेते हैं तो उन्हें हर साल चार सप्ताह का फरलो दिया जाता है। पर संगीन मामलों के अपराधी कैदियों को पांच साल बाद ही फरलो की सहूलियत प्रदान की जाती है। सनद रहे कि फरलो के दौरान मिले कैद से छूट वाले समय की गिनती भी सजा की कुल अवधि में शामिल की जाती है।

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मैं आपको बताऊंगा फरलो के बारे में यह क्या है, इसे कौन इस्तेमाल कर सकता है और इसे इस्तेमाल करने के क्या-क्या लाभ होते हैं।फरलो कैदियों का अधिकार है। लंबी अवधि का कारावास झेल रहे कैदियों को फरलो की सुविधा दी जाती है, जिसके तहत उनकी सजा कम की की जा सकती है जिसकी समयावधि अधिकतम 14 दिनों की होती है या फिर कैदी को रिहा भी किया जा सकता है।
कैदियों की सजा की एकरसता को खत्म करने के लिए फरलो की सुविधा दी जाती है जिसके लिए किसी भी तरह के औचित्य की आवश्यकता नहीं पड़ती।इसकी खास बात यह है कि दोषियों की सजा फरलो की छूट के साथ भी चलती रहती है जिसे जेल का महा निरीक्षक कैदियों का निरीक्षण करने के बाद प्रदान करता है।Letsdiskuss


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