विशेष परिस्थितियों में जब किसी देश की न्याय व्यवस्था को सेना अपने हाथ में ले लेती है, तब जो नियम प्रभावी होते हैं उन्हें सैनिक कानून या मार्शल लॉ कहा जाता है। कभी-कभी युद्ध के समय अथवा किसी क्षेत्र को जीतने के बाद उस क्षेत्र में मार्शल लॉ लगा दिया जाता है।
सुनने मे आया है कि पाकिस्तान में फिर कोई सियासी उथल पुथल होने वाली है| लोकतांत्रिक तरीके से चुनी हुई सरकार की छुट्टी होने वाली है | शायद फिर कोई तानाशाह देश की बागडोर अपने हाथ में लेने वाला है | प्रधानमंत्री से लेकर सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस तक सफाई दे रहे हैं कि लोकतंत्र को पटरी से नहीं उतरने देंगे |
दूसरी तरफ, विपक्षी पार्टी सवाल पूछ रही हैं कि पाकिस्तान में लोकतंत्र पटरी पर चढ़ा ही कब था | बात तो सही ही है, जिस देश के 70 साल के इतिहास में आधे समय तक सैन्य तानाशाहों का राज रहा हो, वहां के लोकतंत्र की जड़ें कितनी मजबूत हैं, यह सभी समझते हैं | इसके अलावा, पाकिस्तानी रुपए के मूल्य में गिरावट और उसकी वजह से बढ़ती महंगाई पर भी कई पाकिस्तानी अखबारों ने बहुत कुछ लिखा है |
रोजनामा ‘एक्सप्रेस’ कि एक खबर मे लिखा गया है कि मौजूदा सरकार का कार्यकाल पूरा होने में सिर्फ पांच-छह महीने का समय बचा है लेकिन अफवाहों और कयासों का बाजार गर्म है जिससे देश का सियासी परिदृश्य धुंधला हो रहा है और अविश्वास की फिजा कायम है |