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दर्शन शाब्दिक रूप से "ज्ञान का प्रेम") अस्तित्व, ज्ञान, मूल्यों के बारे में सामान्य और मौलिक प्रश्नों का अध्ययन है। , कारण, मन और भाषा। इस तरह के प्रश्नों को अक्सर समस्याओं के रूप में प्रस्तुत किया जाता है जिनका अध्ययन या समाधान किया जाता है। यह शब्द संभवतः पाइथागोरस (सी। 570 - 495 ईसा पूर्व) द्वारा गढ़ा गया था। दार्शनिक तरीकों में सवाल करना, महत्वपूर्ण चर्चा, तर्कसंगत तर्क और व्यवस्थित प्रस्तुति शामिल है। क्लासिक दार्शनिक प्रश्नों में शामिल हैं: क्या कुछ भी जानना और इसे साबित करना संभव है? सबसे वास्तविक क्या है? दार्शनिक भी अधिक व्यावहारिक और ठोस प्रश्न देते हैं जैसे: क्या जीने का सबसे अच्छा तरीका है? क्या सिर्फ या अन्यायपूर्ण होना बेहतर है (यदि कोई इससे दूर हो सकता है)? क्या मनुष्य के पास स्वतंत्र है?
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दर्शनशास्त्र अस्तित्व, कारण, ज्ञान, मूल्य, मन और भाषा जैसे विषयों से संबंधित सामान्य और मौलिक प्रश्नों का एक व्यवस्थित अध्ययन है। यह एक तर्कसंगत और आलोचनात्मक जांच है जो अपने तरीकों और धारणाओं को प्रतिबिंबित करती है।यह मौलिक प्रश्नों को संबोधित करने के अन्य तरीकों से समालोचनात्मक, व्यवस्थित और तर्कसंगत युक्ति पर निर्भर होने के साथ-साथ अपने पूर्वनुमानों और विधियों पर चिंतन करने के कारण अलग है। यह शब्द संभवतः पाइथागोरस (सी। 570 - 495 ईसा पूर्व) द्वारा गढ़ा गया था। दार्शनिक तरीकों में सवाल करना, महत्वपूर्ण चर्चा, तर्कसंगत तर्क और व्यवस्थित प्रस्तुति शामिल है। दर्शनशास्त्र को सभी विषयों की जननी कहा जाता है l और इसलिए किसी भी विषय में विशेषसगता हासिल करने पर पीएचडी मतलब डॉक्टर आफ फिलासफी की उपाधि दी जाती है l दर्शन को सीधे कहा जाए तो यह एक दृष्टि कोड है lऐतिहासिक रूप से, "दर्शन" में ज्ञान के किसी भी अंग को शामिल किया गया है। प्राचीन यूनानी दार्शनिक अरस्तू के समय से 19 वीं शताब्दी तक, "प्राकृतिक दर्शन" में खगोल विज्ञान, चिकित्सा और भौतिकी शामिल थे।
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दर्शनशास्त्र एक ऐसा विषय है l जो विश्व की एक व्यापक दृष्टिकोण से व्याख्या करता है l दर्शनशास्त्र में विश्व के सभी विषयों जैसे - आत्मा , आत्मा ईश्वर, संसार , मोक्ष, सत , ब्रह्म ज्ञान का स्वरूप आदि का अध्ययन किया जाता है l इसमें विभिन्न विषयों के आधारों का संश्लेषण किया जाता है l
दर्शन शास्त्र में युक्ति युक्त ज्ञान पर बल दिया जाता है
दर्शन का सामान्य अर्थ होता है l देखना अर्थात जानना l दर्शनशास्त्र सत की खोज का शास्त्र है l
जो सत्य को जानता है l वही दार्शनिक होता है l
इसलिए दर्शनशास्त्र को सभी विषयों की जननी कहा जाता है l और इसलिए किसी भी विषय में विशेषसगता हासिल करने पर पीएचडी मतलब डॉक्टर आफ फिलासफी की उपाधि दी जाती है l दर्शन को सीधे कहा जाए तो यह एक दृष्टि कोड है l
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