क्या है कर्नाटक-तमिलनाडु के बीच कावेरी विवाद ? - letsdiskuss
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Sumil Yadav

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क्या है कर्नाटक-तमिलनाडु के बीच कावेरी विवाद ?


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कावेरी नदी के जल विवाद का इतिहास काफी लंबा और पुराना रहा है। कावेरी नदी कर्नाटका के कोडांगू जिले से निकलती हैं और तमिलनाडु से होती हुई बंगाल की खाडी मे गिरती है। कावेरी घाटी में हिस्सा केरल का है और समुदर मे मिलने से पहले ये पंडुचेरी के कराईकाल से होकर गुजरती है। कावेरी नदी की लंबाई 750 किलो मीटर है। कावेरी नदी कुशालनगर, मैसूर, श्रीरंगापटना , तिरुचिरापल्ली, तंजावुर और मइलादुथुरई जैसे शहरो से गुजरती हुई तमिलनाडु से बंगाल की खाडी मे गिरती है। कावेरी के बेसिन मे कर्नाटका का 32 हजार वर्ग किमी और तमिलनाडु का 44 हजार किमी का ईलाका शामिल है। ये दोनो ही राज्य सिचाई के पानी की जरूरत की वजह से कावेरी के मुद्दे पर दशको से लड़ रहे है। दोनो राज्यो के बीच यह विवाद करीब 140 साल पुराना है। सबसे पहले साल 1881 मे ये विवाद तव शुरू हुआ जब कर्नाटका ने कावेरी नदी पर बांध बनाने का फैसला लिया लेकिन तमिलनाडु ने आपत्ति जताई। 40 साल तक यह विवाद चला फिर 1924 मे ब्रिटिशर की मदद से एक समझौता हुआ की कावेरी नदी का177 TMCऔर तमिलनाडु को556 TMCपानी मिलेगा। TMC यानी हजार मिलियन क्यूबिट फीट। लेकिन विवाद फिर भी नही सुलझ सका। आज़ादी के बाद भी 1972 मे भी इस विवाद पर समझौता हुआ लेकिन उसका भी पालन नही हुआ। Letsdiskuss


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दोस्तों आप सभी कर्नाटक और तमिलनाडु से भारी भाँति परिचित है लेकिन आज इस पोस्ट में हम आपको कर्नाटक तमिलनाडु के बीच कावेरी विवाद के बारे में बताएंगे दरअसल कर्नाटक और तमिलनाडु के बीच कावेरी विवाद आज का नहीं बल्कि 140 साल पुराना है लेकिन कुछ समय पहले सुप्रीम कोर्ट ने दोनों राज्यों के इस विवाद को सुलझा दिया था। लेकिन अब फिर से कर्नाटक और तमिलनाडु के बीच कावेरी विवाद पर झगड़ा शुरू हो गया है।

कर्नाटक और तमिलनाडु दोनों ही कावेरी नदी के पानी से अपनी खेतों की सिंचाई करते हैं। जब तमिलनाडु की सरकार कर्नाटक की सरकार से कावेरी नदी का पानी की माग की तो उन्होंने कह दिया कि कर्नाटक तमिलनाडु को कावेरी का पानी देने में असमर्थ है क्योंकि कर्नाटक के नदियों और जलाशय में पानी नहीं है तब तमिलनाडु की सरकार इस मामले को सुप्रीम कोर्ट ले गई और कर्नाटक की सरकार से 24 हजार क्यूसेन पानी की मांग की लेकिन कर्नाटक के सरकार ने मना कर दिया और कहां की हम केवल 10हजार क्यूसेन पानी ही देंगे।

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कर्नाटक और तमिलनाडु के बीच एक बार फिर कावेरी नदी के पानी के बंटवारे को लेकर विवाद चल रहा है। अब एक बार फिर से यह मामला अदालत में जा पंहुचा है,तमिलनाडु की मांग है कि 24 हजार क्यूसेक पानी कावेरी नदी से कर्नाटक को दिया जाये, लेकिन कर्नाटक के डिप्टी सीएम डीके शिवकुमार का कहना है कि राज्य की नदियों और जलाशयों का पानी खुद के लिए नहीं है, तो तमिलनाडु के लिए पानी दे पाना संभव नहीं है। इसके बाद तमिलनाडु की सरकार सुप्रीम कोर्ट तक पहुंच गयी है।

आपको जानकारी के लिए बता दे कि कर्नाटक से निकलने वाली कावेरी नदी कुशालनगर,श्रीरंगापटना, मैसूर,त्रिरुचिरापल्ली, तंजावुर और मइलादुथुरई जैसे शहरों से होते हुए 750 किमी की दूरी तय करके बंगाल की खाड़ी में पानी गिरता है। कर्नाटक, तमिलनाडु दोनों राज्यों में विवाद को देखते हुए 1990 में कावेरी जल विवाद ट्रिब्यूनल (CWDT) का गठन किया गया था,लेकिन फिर भी यह मामला नहीं सुलझा, यह विवाद कर्नाटक के बनाये गए बांध से शुरू हुआ है क्योंकि इससे कर्नाटक के पास पानी रोकने की ताकत है। ये मामला पहले भी सुप्रीम कोर्ट मे गया था, वर्ष 2018 में अदालत ने अपने फैसले में कहा था कि कर्नाटक को प्रति वर्ष 284.75 TMC पानी कावेरी नदी से दिया जाएगा और तमिलनाडु को कावेरी नदी से सालाना 404.25 TMC पानी मिलेगा। लेकिन अब तमिलनाडु सरकार की तरफ से शिकायत मिली है कि कर्नाटक उन्हें कावेरी नदी से 284.74 TMC पानी नहीं दे रहा है।Letsdiskuss


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