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Sikandar khan

Engineer at KW Group | Posted on | others


नासमझ जानवर और समझदार इंसान मे क्या फर्क है,समझाइये ?


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इंसान खुद को सबसे ज्यादा समझदार समझता है | और अगर वो कोई पढ़ा लिखा हो अर्थात "वेल-एडुकेटेड पर्सन" तो बात ही ख़तम फिर तो उसके सामने हिंदी माध्यम से पढ़ा इंसान कुछ नहीं होता | अक्सर इंग्लिश मीडियम के लोग खुद को बहुत ज्यादा ही समझदार समझते है | सभी ऐसे नहीं होते है पर कुछ लोग जिनको अपनी एजुकेशन मे बहुतघमंड होता वो लोग अक्सर खुद के आगे किसी को नहीं समझते | मेरा ऐसा कहना है की समझदारी इंसान मे होती है उसकी पढाई-लिखाई मे नहीं | पहले समय के लोग पढ़े लिखे नहीं थे पर फिर समझदारी उनमे आज के समय के लोगो से ज्यादा होती थी |

पढाई सिर्फ एक इंसान को सही ज्ञान दे सकती है ,और एक अच्छा भविष्य बनाने का मौका दे सकती है ,परन्तु एक अच्छा इंसान बनने मे इंसान को खुद ही मेहनत करना होगा | जरुरी नहीं पढ़ा -लिखा इंसान समझदार हो ,बेशक वो अच्छा ज्ञान रखता हो पर समझदार हो ये जरुरी नहीं |
कम पढ़े लिखे इंसान या जो बिलकुल एडुकेटेड नहीं है अक्सर उसको लोग जानवर कही का ऐसा कह कर सम्बोधित करते है |

क्या आपको लगता है के इंसान है तो जानवर से अच्छे है | अगर कोई जानवर आवारा घूम रहा है तो उसमे भी इंसान गलत है | इसलिए इंसान से अच्छे जानवर है | क्योकि वो अपने नाम से ही लोगो को बता देते है के उनसे बच कर रहना चाहिए | वो इंसान की तरह तो बिलकुल नहीं है जो जानवर से भी बत्तर होता जा रहा है | जानवर खुद को मानते तो है वो जानवर है परन्तु आज कल के इंसान करते काम जानवरो की तरह है परतु खुद को इंसान कहते है | जो गलत है |


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आज हम आपको नासमझ जानवर और पढ़े-लिखे समझदार इंसान में क्या फर्क होता है इसकी जानकारी देंगे। अक्सर आपने देखा होगा कि जो व्यक्ति ज्यादातर पढ़ा लिखा होता है मैं अपने आप को दुनिया का सबसे समझदार इंसान समझता है चाहे वह लोगों के साथ कितना भी गलत क्यों ना करता हो लेकिन उसे यह लगता है कि मेरे से बढ़कर कोई भी यहां पर समझदार नहीं है अनपढ़ जानवरों की बात करें तो वे पढ़े-लिखे ना होकर भी इंसानों से अधिकतर समझदार होते हैं क्योंकि जानवर कभी किसी का बुरा नहीं चाहते और इंसान हमेशा एक दूसरे के बारे में बुरा ही सोचते रहते हैं।

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