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कथनी और करनी में अंतर निम्न प्रकार के होते हैं-
- किसी व्यक्ति द्वारा काम को करने के लिए बोले गए शब्द को ही कथनी कहते हैं. करनी किसी व्यक्ति के द्वारा किया गया काम होता है.
- कथनी को आसान माना जाता है और करनी कठिन होती है.
-कथनी लोगों के मुंह से बोला हुआ शब्द होता है जबकि लोगों के शरीर द्वारा और दिल द्वारा किए गए कार्य को कहते हैं.
- कथनी और करनी का उदाहरण: कल मैं मैहर जाऊंगी। करनी का उदाहरण: मैंने अपने मम्मी की हेल्प की .
- जरूरी नहीं होता है कि कथनी में बोले गए शब्द सही है या गलत लेकिन करनी द्वारा किया गया कोई भी काम प्रत्यक्ष होता है.
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कथनी वह है जो हम कहते है और करनी वह है जो हम करते है। हम कभी कभी बोलते कुछ और है और करते कुछ और है ऐसे मे लोग कहते है कथनी और करनी दोनो अलग है । हमे वही बोलना चाहिए जो हम कर सकते है बड़ी बाते करके लोगो का ध्यान अपनी तरफ खिचना गलत है। जो बोलो उसे करके दिखाना चाहिए। लोग हमारी कथनी को हमारी करनी से जोड़ते है।
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शास्त्र के अनुसार कहा जाता है जिन लोगों की कथनी और करनी अलग होती है उन लोगों पर कभी विश्वास नहीं करना चाहिए। कथनी को करनी में बदलने के लिए मानसिक साहस की जरूरत होती है कथनी और करनी में अंतर बस इतना है इंसान सोच के कहता कुछ और है करते कुछ और है और कथनी में करने में अंतर होता है जैसे हमारे किसी खास अजीत ने हार से प्रॉमिस किया है और हमारे साथ कुछ और बता रहा है और यह एक ऐसा वाक्यांश का अर्थ है जिसका अर्थ एक संकेत के रूप में सुलझा या होता है.।
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