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sahil sharma

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बांग्लादेश का पूरा नाम क्या है? बांग्लादेश स्वतंत्र राष्ट्र कैसे बना?


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भूमिका
दक्षिण एशिया में स्थित बांग्लादेश एक महत्वपूर्ण देश है, जिसका इतिहास और स्वतंत्रता संघर्ष प्रेरणादायक है। इसका पूरा नाम "गणप्रजातंत्री बांग्लादेश" (People's Republic of Bangladesh) है। यह नाम इसके गणतंत्रात्मक और लोकतांत्रिक स्वरूप को परिलक्षित करता है। 1971 में पाकिस्तान से अलग होकर यह एक स्वतंत्र राष्ट्र बना। बांग्लादेश का यह संघर्ष अपने सांस्कृतिक, भाषाई और राजनीतिक अधिकारों को प्राप्त करने की गाथा है।

 

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भौगोलिक और ऐतिहासिक पृष्ठभूमि
बांग्लादेश की सीमाएं भारत और म्यांमार से लगती हैं, और दक्षिणी छोर पर बंगाल की खाड़ी स्थित है। 1947 में भारत के विभाजन के बाद, बांग्लादेश (तब का पूर्वी बंगाल) पाकिस्तान का हिस्सा बना और इसे पूर्वी पाकिस्तान कहा गया। हालांकि, भौगोलिक रूप से एक देश होने के बावजूद, पश्चिमी पाकिस्तान (अब पाकिस्तान) और पूर्वी पाकिस्तान (अब बांग्लादेश) के बीच कई आर्थिक, सांस्कृतिक और राजनीतिक असमानताएं थीं।

 

बांग्लादेश का नाम और उसकी सांस्कृतिक पहचान
बांग्लादेश का अर्थ है "बंगालियों की भूमि।" यह नाम यहां के लोगों की सांस्कृतिक और भाषाई पहचान से जुड़ा हुआ है। बंगाली भाषा और संस्कृति ने यहां के लोगों को हमेशा से एकजुट रखा है। 1952 का भाषा आंदोलन इसका एक प्रमुख उदाहरण है, जिसमें पूर्वी पाकिस्तान के लोगों ने बंगाली भाषा को सरकारी मान्यता दिलाने के लिए संघर्ष किया। इस आंदोलन ने स्वतंत्रता संघर्ष की नींव रखी।

 

स्वतंत्रता संघर्ष की शुरुआत
बांग्लादेश का स्वतंत्रता संघर्ष कई चरणों में हुआ। इसका आरंभ 1947 के विभाजन के बाद से ही हो गया था। पूर्वी पाकिस्तान में राजनीतिक और आर्थिक उपेक्षा के कारण असंतोष बढ़ता गया।

 

  1. आर्थिक असमानता
    पाकिस्तान के पश्चिमी हिस्से ने पूर्वी पाकिस्तान के प्राकृतिक संसाधनों का शोषण किया। पूर्वी पाकिस्तान देश की जीडीपी का बड़ा हिस्सा उत्पन्न करता था, लेकिन वहां के लोगों को उचित भागीदारी नहीं मिलती थी।

  2. भाषाई विवाद
    1948 में, पश्चिमी पाकिस्तान सरकार ने उर्दू को पाकिस्तान की एकमात्र राष्ट्रीय भाषा घोषित किया। बंगाली भाषी पूर्वी पाकिस्तान में इसका कड़ा विरोध हुआ। 1952 में भाषा आंदोलन के दौरान कई लोग मारे गए, लेकिन अंततः बंगाली को भी राष्ट्रीय भाषा का दर्जा दिया गया।

  3. राजनीतिक असमानता
    पूर्वी पाकिस्तान में जनसंख्या अधिक होने के बावजूद राजनीतिक प्रतिनिधित्व में उनकी उपेक्षा की गई। 1970 के आम चुनावों में शेख मुजीबुर रहमान की पार्टी अवामी लीग ने भारी बहुमत से जीत हासिल की, लेकिन पश्चिमी पाकिस्तान ने सत्ता हस्तांतरण करने से इनकार कर दिया।

 

स्वतंत्रता युद्ध का आगाज़
मार्च 1971 में, पश्चिमी पाकिस्तान की सेना ने ढाका में ऑपरेशन सर्चलाइट शुरू किया, जिसमें हजारों निर्दोष लोगों की हत्या की गई। यह घटना बांग्लादेश के स्वतंत्रता संग्राम का निर्णायक मोड़ बनी।

 

  1. शेख मुजीबुर रहमान और अवामी लीग
    शेख मुजीब ने बांग्लादेश के स्वतंत्रता आंदोलन का नेतृत्व किया। 26 मार्च 1971 को उन्होंने बांग्लादेश की स्वतंत्रता की घोषणा की।

  2. भारत का समर्थन
    पाकिस्तान की सेना द्वारा किए गए अत्याचारों के कारण लाखों लोग शरणार्थी बनकर भारत में आए। भारतीय प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने न केवल इन शरणार्थियों को सहारा दिया, बल्कि बांग्लादेश के मुक्ति संग्राम को भी सैन्य और राजनीतिक समर्थन दिया।

  3. मुक्ति बाहिनी का गठन
    पूर्वी पाकिस्तान के स्वतंत्रता सेनानियों ने मुक्ति बाहिनी नामक एक सेना का गठन किया। इस सेना ने पाकिस्तानी सेना के खिलाफ युद्ध छेड़ दिया।

 

भारत-पाक युद्ध और बांग्लादेश की स्वतंत्रता
दिसंबर 1971 में, पाकिस्तान ने भारत पर हमला कर दिया, जिसके बाद भारत ने औपचारिक रूप से बांग्लादेश के पक्ष में युद्ध में भाग लिया। भारतीय सेना और मुक्ति बाहिनी ने मिलकर पाकिस्तान को पराजित किया। 16 दिसंबर 1971 को पाकिस्तान ने आत्मसमर्पण किया, और बांग्लादेश एक स्वतंत्र राष्ट्र के रूप में उभरा।

 

स्वतंत्रता के बाद बांग्लादेश का निर्माण
स्वतंत्रता प्राप्ति के बाद, बांग्लादेश को कई चुनौतियों का सामना करना पड़ा:

  1. आर्थिक पुनर्निर्माण
    युद्ध ने बांग्लादेश की अर्थव्यवस्था को तबाह कर दिया था। धीरे-धीरे, कृषि, वस्त्र उद्योग और निर्यात के माध्यम से देश ने अपनी अर्थव्यवस्था को पुनर्जीवित किया।

  2. राजनीतिक स्थिरता
    प्रारंभिक वर्षों में राजनीतिक अस्थिरता रही। 1975 में शेख मुजीबुर रहमान की हत्या के बाद, देश में सैन्य शासन का दौर शुरू हुआ।

  3. वर्तमान में बांग्लादेश
    आज बांग्लादेश एक उभरती हुई अर्थव्यवस्था है। यह वस्त्र उद्योग, महिला सशक्तिकरण और जलवायु परिवर्तन के मुद्दों पर वैश्विक स्तर पर अपनी पहचान बना रहा है।

 

निष्कर्ष
बांग्लादेश की स्वतंत्रता की कहानी संघर्ष, त्याग और अदम्य साहस की गाथा है। इसने यह सिद्ध किया कि किसी भी देश की सांस्कृतिक और भाषाई पहचान उसके विकास और स्वतंत्रता के लिए महत्वपूर्ण होती है। आज, बांग्लादेश अपनी उपलब्धियों के माध्यम से दुनिया को प्रेरित कर रहा है।

 


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