माँ कालरात्रि के पूजन का महत्व क्या है ? - letsdiskuss
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digital marketer | Posted on | Astrology


माँ कालरात्रि के पूजन का महत्व क्या है ?


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माँ कालरात्रि के पूजन का बहुत ही महत्व है,माँ कालरात्रि की पूजन नवरात्री के 7वें दिन होती है,माँ कालरात्रि के पूजन के लिए सबसे पहले सुबह जल्दी उठकर नहाना होता है उसके बाद माँ कालरात्रि के चरणों मे फूल, फल, सिंदूर, चूड़ी,बिंदी, लाल टिका चढ़ाते है और माता की आरती, हवन करके भोग लगाते है और माता की पूजा करने से नकारात्मक शक्तियों का नाश होता जाता है, माता की पूजा सुबह के समय ही होती है. लेकिन रात्रि के समय पूजा का विशेष महत्व माना जाता है।Letsdiskuss


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मां कालरात्रि के पूजा का महत्व:- सप्तमी की पूजा अन्य दिनों की तरह ही होती है, परंतु रात्रि में विशेष विधान के साथ देवी की पूजा की जाती है। इस दिन कहीं-कहीं तांत्रिक विधि से पूजा होने पर मंदिर भी देवी को अर्पित की जाती है। सप्तमी की रात्रियों सिद्धियों कि रात भी कहीं जाती है। माता कालरात्रि के पूजन से पहले घट का पूजा करना आवश्यक होता है। इसके बाद उपस्थित सभी देवी देवताओं का पूजा करना चाहिए,और फिर नवग्रह का पूजन तब माता कालरात्रि का पूजा करें। जब पूजा शुरू करें तो हाथों में फूल लेकर मां कालरात्रि को प्रणाम करें।

मां कालरात्रि भयानक दिखती हैं, लेकिन वे शुभ फल देने वाली है।मां कालरात्रि से काल भी भयभीत होता है। यह देवी अपने भक्तों को भय यह मुक्त और अकाल मृत्यु से भी रक्षा करते हैं। शत्रुओं के दमन के लिए भी इस देवी की पूजा की जाती है।Letsdiskuss


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नवरात्री का सातवां दिन माँ कालरात्रि के लिए माना जाता है । शत्रुओं पर विजय प्राप्त करने के लिए कालरात्रि का जन्म हुआ । जो माता कालरात्रि का पूजन सच्चे मन से करता है उनके शत्रु उनका कुछ नहीं बिगाड़ पाते और वो व्यक्ति हमेशा सुख समृद्धि से संपन्न रहता है । कालरात्रि का रूप दिखने में बहुत ही डरावना है । बाल बिखरे हुए और उनका वर्ण अंधकार से भरा हुआ , बड़े-बड़े नेत्र जैसे उनसे बिजली निकल रही हो । उनका क्रोध भरा चेहरा सिर्फ उनके शत्रुओं के लिए है । माता कालरात्रि का पूजन नीले रंग के वस्त्र पहनकर करना बहुत शुभ होता है ।
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पूजा विधि :-

माता कालरात्रि के पूजन से पहले घट का पूजन करना आवश्यक है । इसके बाद उपस्थित सभी देवी-देवताओं का पूजन करना चाहिए और फिर नवग्रह का पूजन । अब माता कालरात्रि का पूजन करें । जब पूजा शुरू करें तो हाथों में फूल लेकर माँ कालरात्रि को प्रणाम करें और इसके बाद पूजा शुरू करें । पूजन के बाद उड़द दाल से बना वडा और दही का भोग लगाना चाहिए है ।

वैसे तो सप्तमी का पूजन और दिनों जैसा ही होता है पर माता का शाम के समय का पूजन विशेष विधान से किया जाता है । इसलिए सप्तमी की रात को ‘सिद्धियों’ की रात भी कहा जाता है । माता कालरात्रि के पूजा के बाद भगवान शिव और ब्रह्मा जी का पूजन अवश्य करना चाहिए । 108 बार "या देवी सर्वभू‍तेषु माँ कालरात्रि रूपेण संस्थिता,नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नम:" का जाप जरूर करें ।



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आज हम आपको माता दुर्गा का सातवां स्वरूप मां कालरात्रि के पूजन के महत्व के बारे में बताएंगे जैसा कि आप सभी जानते हैं कि नवरात्रि के 9 दिनों में माता दुर्गा की अलग-अलग रूपों की पूजा की जाती है उन्हीं में से माता दुर्गा का सातवां रूप है मां कालरात्रि का रूप इस दिन पूजन का बहुत ही महत्व है मां कालरात्रि की पूजा करने के लिए सबसे पहले हमें सुबह उठकर स्नान करना होगा स्नान करने के बाद स्वच्छ कपड़े पहनकर माता के दर्शन करने के बाद उनकी पूजन करनी चाहिए ऐसा करने से मां कालरात्रि प्रसन्न होती हैं और आपकी सभी मनोकामनाएं पूर्ण करती है।

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दोस्तों आप सभी को पता है कि नवरात्रि के सातवें दिन मां कालरात्रि की पूजा अर्चना की जाती है आज इस पोस्ट में हम आपको मां कालरात्रि के पूजन का महत्व बताएंगे। मां कालरात्रि नकारात्मक शक्तियों का नाश करती है मां कालरात्रि के लंबे काले घने बाल होते हैं उनके एक हाथ में तलवार, दूसरे हाथ में खड़क तीसरे हाथ में बरमुंडा और चौथे हाथ में कटोरा होता है। मां कालरात्रि की पूजा अर्चना ज्यादातर रात में ही की जाती है। जो इंसान मां कालरात्रि की पूजा अर्चना करते हैं उन्हें अकाल मृत्यु का भय नहीं होता है।

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मां कालरात्रि पूजा का महत्व :- सप्तमी की पूजा अन्य दिनों की तरह ही होती है। इस दिन मां दुर्गा सातवें स्वरूप माँ कालरात्रि की पूजा की जाती है, मां कालरात्रि पूजा अर्चना से अकाल मृत्यु का भय नहीं होता है, इसीलिए मंत्र तंत्र के साधक मां कालरात्रि की पूजा विशेष करते हैं। मां दुर्गा की इस शक्ति को कालरात्रि कहा जाता है, उन्हीं में से मां दुर्गा अलग-अलग रूप में पूजा की जाती है, उन्हें में से मां दुर्गा का सातवं रूप है,मां कालरात्रि के इस दिन पूजा का बहुत बात ही महत्व है। माँ कालरात्रि की पूजा करने के लिए सबसे पहले हमें सुबह उठकर स्नान करना स्नान करने के बाद स्वच्छ कपड़े पहनकर मां के दर्शन करने के बाद उनकी पूजा करनी चाहिए। ऐसे करने से मां कालरात्रि प्रसन्न होती है, उसकी सभी मनोकामना पूर्ण करती हैं।

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