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ढाक के तीन पात मुहावरे का अर्थ -सदा एक जैसा होना।
रमेश के दोस्तो मे से कुछ दोस्त आज प्रोफेसर, डॉक्टर, इंजीनियर बन गए है लेकिन रमेश वही का वही रह गया है इसको कहते है ढाक के तीन पात।
मै बचपन से संजय को हमेशा देखता आया हूँ कि यह अपनों से बड़ो के सामने कभी बात नहीं करता है यह वही बात हुयी ढाक के तीन पात।
मैंने अपने नौकरानी के बेटे को पढ़ाने की बहुत कोशिश की लेकिन पढ़ाई मे उसकी रूचि बिल्कुल नहीं थी जिस कारण से नतीजा ढाक के तीन पात ही निकला।
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ढाक के तीन पात मुहावरे का अर्थ होता है सदा एक जैसा ही रहना, जैसे सरकारी स्कूल की व्यवस्था हमेशा वैसे ही रहती है, जैसे ढाक के तीन पात। इसको समझना और आसान है- यह मुहावरा कैसे बना है? तो जान लीजिए दोस्तो! ढाक एक पौधा होता है जिसे पलाश भी कहते हैं। पलाश की पत्तियां एक जैसी ही दिखाई देती हैं इसलिए मुहावरा अपने विशिष्ट अर्थ में बन गया ढाक के तीन पात यानी सदा एक जैसे रहने वाला.
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