यह बेहद जरुरी और एक गंभीर सवाल है । तो चलिए आपको बता दें कि मौद्रिक नीति एक तरह का टूल है जिसके आधार पर बाज़ार में मुद्रा की आपूर्ति को नियंत्रित किया जाता है। मौद्रिक नीति ही यह तय करती है कि रिज़र्व बैंक किस दर पर बैंकों को क़र्ज़ देगा और किस दर पर उन बैंकों से वापस पैसा लेगा। मौद्रिक नीति को तय करने के लिए भारतीय रिज़र्व बैंक अपने केन्द्रीय बोर्ड की सिफ़ारिशे शामिल करता है। जिसमें अर्थशास्त्री, उद्योगपति और नीति निर्माता शामिल होते हैं। रिजर्व बैंक मौद्रिक नीति के लिए सरकार के आर्थिक विभागों से सलाह-मशवरा करता है, लेकिन अंतिम निर्णय रिज़र्व बैंक का ही होता है।
ये हैं मॉनेटरी पॉलिसी से जुडी जरुरी बातें
- रेपो रेट एक चौथाई फीसदी घटने के बाद 6 फीसदी हुआ
- यह रेपो रेट में लगातार दूसरी कटौती है
- RBI ने मौद्रिक नीति में अपना रुख 'न्यूट्ल' बनाए रखा है
- MPC के छह सदस्यों में से 4 ने रेपो घटाने के पक्ष में मतदान किया
- RBI ने इस वित्त वर्ष के लिए जीडीपी की ग्रोथ रेट का अनुमान घटाकर 7।2 फीसदी कर दिया है
- RBI ने खुदरा मुद्रास्फीति की दर के अनुमान को घटाकर 2।4 फीसदी कर दिया है