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Brij Gupta

Optician | Posted on | News-Current-Topics


क्या कारण है होली के दिन रंग खेलने का,प्राचीन समय और वर्तमान समय की होली मे क्या फर्क है ?


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fitness trainer at Gold Gym | Posted on


होली का नाम आते ही सबके मन मे ख़ुशी आ जाती है क्योकि ये त्यौहार ही ऐसा है | जिसके नाम से ही इसमे रंग झलकता है | यह एक प्यार और रंगो का त्यौहार है जो हर साल हिन्दू धर्म के लोगों द्वारा आनन्द और उत्साह के साथ मनाया जाता है। इस त्यौहार मे रंग खेलने का भी एक विशेष महत्व है |


"एक बार भगवन कृष्णा ने अपनी माँ से अपने रंग को लेकर शिकायत की | उन्होंने कहा वो उनका रंग और राधा का रंग अलग क्यों है | वो गोरी मे कला क्यों ? फिर माँ ने कई बहाने से उसको मनाया पर वो नही माने | फिर यशोदा जी ने राधा के चेहरे पर सुखीहल्दी का रंग लगा दिया " तब से होली पर रंग लगाने की प्रथा बन गए |


प्राचीन काल की होली :-

प्राचीन समय मे होली लोग ख़ुशी के लिए खेलते थे | और ये सभी जानते है के "बुराई पर अच्छे की जीत " होना ही होली का मुख्य उद्देश्य है | होली का नाम होलिका के नाम से प्रसिद्द हुआ जो हिरण्य कश्यप की बहन थी ,जिसको वरदान था की उसको अग्नि भस्म नही कर सकती | वो अपने भतीजे प्रह्लाद को अग्नि मे भस्म करने के लिए उसको अपनी गोद मे बैठा कर अग्नि मे बैठ गए | प्रह्लाद को कुछ नही हुआ परतु होलिका भस्म हो गए | यही बात बुराई पर अच्छे की जीत को दर्शाती है |


वर्तमान समय की होली :-

वर्तमान समय मे प्राचीन से बिलकुल अलग है | आज वर्तमान मे लोग होली सिर्फ इसलिए खेलते है ताकि वो औरो को परेशान कर सके | वर्तमान होली मे सिर्फ लोगो को परेशानियों का सामना ही करना पड़ता है | और ये बात सभी जानते है कि आज के समय के लोगो को होली सिर्फ अपनी दुश्मनी ,अपना गुस्सा निकलने के लिए खेलना होता है | पर ये नहीं समझते ऐसे लोग की वो ऐसा कर के अपना ही नुक्सान कर रहे है |



नोट :- होलिका दहन के लिए जाए तो कपूर और छोटी इलाइची साथ लेकर जाए और उसको होलिका दहन मे जला दे इसके धुँए और इसकी खुसबू से स्वाइन फ्लू का वायरस मरता है |





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