धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, महाराजा जनक जी पुष्य नक्षत्र के मध्याह्न काल में यज्ञ की भूमि तैयार कर रहे थे। उस समय वह हल से भूमि जोत रहे थे, तभी जमीन से सीता जी प्रकट हुई थीं। सीता का एक नाम जानकी भी है, इसलिए सीता जयंती को जानकी जयंती भी कहा जाता है।
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सीता जयंती का महत्व :-
आज हम आपको सीता जयंती के महत्व के बारे में बताना चाहते हैं। हर साल की फागुन मास के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को सीता जयंती या जानकी जयंती मनाई जाती है कहा जाता है कि इस दिन माता सीता धरती पर प्रकट हुई थी तभी से इस दिन को व्रत रखने और विधि विधान से पूजा करने का बहुत बड़ा महत्व है। यह व्रत महिलाओं के लिए अत्यधिक महत्वपूर्ण है। कहा जाता है कि इस व्रत को रखने से पति की उम्र लंबी होती है,और इस व्रत को रखने से परिवार की सभी परेशानियां दूर हो जाती हैं और जिन लड़कियों की शादी नहीं हो रही हो वे इस व्रत को रखकर मनचाहा वर पा सकती हैं।
सीता जयंती की पूजन विधि :-
इस व्रत को रखने के लिए सुबह जल्दी उठना चाहिए और स्नान करके साफ-सुथरे कपड़े पहन कर भगवान राम और सीता की पूजन करनी चाहिए पूजन में माता सीता को पीले वस्त्र, और सोलह सिंगार अर्पित करना चाहिए और पीले फूल चढ़ाने चाहिए भोग में माता सीता को पीले रंग का खाद्य पदार्थ चढ़ाना चाहिए शाम को आरती पूजन करके सामान्य भोजन ग्रहण कर लेना चाहिए। ऐसा करने से माता सीता प्रसन्न होकर आप पर हमेशा अपनी कृपा दृष्टि बनाए रखेंगी।
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मान्यता के अनुसार इस दिन सीता का जन्म हुआ था| सीता जयंती फाल्गुन मास के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि मनाई जाती है इस दिन सीता जी धरती से प्रकट हुई थी| सीता जयंती को जानकी जयंती भी कहा जाता है, इस साल सीता जयंती 2 मई 2020 को पड़ रही है| इस दिन सुहागन महिलाएं अपने पति की लंबी आयु के लिए व्रत रखती हैं और जो महिलाएं इस दिन मां सीता की पूजा करती हैं उनके जीवन में कभी कोई समस्या नहीं आती|
(इमेज -गूगल)
धार्मिक मान्यता के अनुसार महाराजा जनक जी पुष्य नक्षत्र के मध्याह्न काल में एक यज्ञ की भूमि तैयार कर रहे थे, जिसमें हल जोत रहे थे, तभी सीता जी धरती से प्रगट हुई| महाराज जनक ने उन्हें अपनी पुत्री कहा और इसलिए उन्हें जानकी नाम से जाना जाता है इसलिए सीता जयंती को जानकी जयति भी कहते हैं|
पूजा विधि:
इस दिन सुबह जल्दी उठ कर स्नान करें और उसके बाद सीता जयंती का व्रत लेने का संकल्प करें| अब पूजा वाली जगह की सफाई करें और पूजा स्थल में माता सीता और श्री राम की प्रतिमा स्थापित करें| पूजा की शुरुआत गणेश जी और अंबिका जी से करें| इसके बाद सीता जी को पीले फूल, कपड़े और श्रृंगार का सामान चढ़ाएं| अक्षत्, रोली, चंदन, धूप, गंध, मिठाई यह सभी पूजा के समय भगवान पर अर्पित करें|
इसके बाद “श्रीसीता-रामाय नमः या श्री सीतायै नमः” मंत्र का जाप 108 बार करें| अब हवन और आरती करें| सभी को आरती दें और प्रसाद वितरण करें | इस तरह पूजा सम्पन्न करें|
सीता जयंती का महत्व:
सीता जयंती के व्रत करने से विवाह में आने वाली समस्या दूर होती है और जीवनसाथी की उम्र लम्बी होती है| इस व्रत को करने से सारे तीर्थों के दर्शन का लाभ भी मिलता है|
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