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Rinki Pandey

| Posted on | Education


बाज के जीवन से सफलता के तीन कौन से गुण सीख सकते हैं? जान लीजिए बदल जाएगा आपके जीने का अंदाज!


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दोस्तों बाज यानी ईगल की जीवन से हम कई महत्वपूर्ण बातें अच्छे से सीख सकते हैं जिससे कि हम जीवन में सफल हो सकते। बाज (eagle) के जीवन से तीन ऐसे गुर सीखे जिससे कि हम सफलता हासिल कर सकते हैं।

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अपने लक्ष्य की बड़ी उड़ान भरना

दोस्तों बाज अपने जीवन काल में कभी भी किसी छोटे परिंदे के साथ नहीं उड़ता है। वह एक लंबी उड़ान उड़ने के लिए खुद ही आसमान मैं अकेले जाता है। 10,000 मीटर की ऊंचाई पर वह अकेले उड़ता है। बाज के इस हौसले से हम अकेले चलने की शिक्षा सीख सकते हैं। क्योंकि जीवन में हमें हमेशा आगे बढ़ने के लिए अकेले चलना पड़ता है।

कठिन ट्रेनिंग लेता है बाज जब वह बच्चा होता है

जी हां दोस्तों जब बाज उड़ना भी सीखा नहीं होता है तब उसकी मां मादा बाज उसे 10000 मीटर की ऊंचाई पर अपने पंजों से जकड़ कर ले जाती है। और उस ऊंचाई से बाज के बच्चे को छोड़ देती है। ‌ बाज का बच्चा तेजी से नीचे गिरता है‌‌। उसके पंख इतने मजबूत नहीं होते कि उसे खोल दें तो वह उड़ान भर के जमीन से टकराने से बच जाए लेकिन 10000 मीटर की ऊंचाई से गिरते गिरते जब वह 1000 मीटर की ऊंचाई पर होता है। तभी मादा बाज उसकी मां जो उसके ठीक ऊपर उड़ रही होती है, उसे फिर पंजों से दबोच लेती है फिर उसे 10000 मीटर की ऊंचाई तक ले जा ती है , इससे बाज सीखता है। हवा से नीचे गिरते हुए अपने अकेले अनुभव से वह बच्चा बाज धीरे-धीरे उड़ने लगता है।

दोबारा वह आसमान में जब उड़ता है तो अकेले 10000 मीटर की ऊंचाई पर और जीवनभर वह अकेले ही उड़ता है। इस तरह से हम सीख सकते हैं, बाज के जीवन से कि हमें भी कठिन से कठिन परिश्रम करके अपने आप को ट्रेंड करना है, तभी सफलता मिल सकती है।

कठिन हालात में खुद को रिसेट करना

दोस्तों कठिन परिस्थितियों में बाज खुद को रिसेट आसानी से कर लेता है।

जब वह 40 साल की उम्र में उसके तीन अंग काम करना बंद कर देता है।

उसकी छूट छूट जाते जिससे कि वह किसी काम का नहीं रहता है।

इस उम्र में पहुंचते-पहुंचते उसके पंख पड़े लचीली और भारी हो जाते हैं जिससे वह बड़ी उड़ान नहीं भर पाता।

उसके पंजे लचीले हो जाते जिससे शिकार को पकड़ने पर पकड़ नहीं बनती है।

अब उसे इसे नया बनाने के लिए एक बड़ा फैसला लेना होता है। अगर ऐसा हुआ नहीं करेगा तो बात 70 साल शानदार जीवन नहीं जी पाएगा। खुद को रिसेट करने के लिए पहाड़ी पर पहुंच जाता है। वहां एकांत में रहता है। अपनी मुड़ी हुई चोंच को तोड़ देता है।‌और कुछ ही दिनों में इसके नया चोंच उग आता है। जो शानदार और बेहतरीन होता है।

इसके बाद वह अपने पंजे को भी तोड़ देता है, कुछ दिनों में नए पंजे जग जाते हैं, जो पहले से ज्यादा मजबूत और घातक होता है। वे अपने पंखों को भी नोच देता है फिर उसके बाद नए पंख उग जाते हैं, जो एक लंबी उड़ान भरने के लिए होता है।

लेकिन इस सब चीज में उसे असहनीय दर्द होता है लेकिन वह इस दर्द को बाज सह कर अपने आप को पुनर्स्थापित कर लेता है।

इसी तरह इंसान को भी बाज की तरह खुद को पुनर्स्थापित होने की सीख सीखना चाहिए। हमारे जीवन में ऐसे मुकाम आते हैं जब हम हार मान लेते हैं तब वह वक्त आता जब हमें कष्ट से मेहनत करके खुद को रिसेट बाज की तरह करना है और सफलता मंजिल को हासिल करना है।

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