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Satindra Chauhan

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लिव इन रिलेशनशिप मे रहने पर अगर बेबी हो जाए तो क्या करे?


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Social Activist | Posted on


बिना शादी स्त्री-पुरुष के पति-पत्नी की तरह साथ-साथ रहने यानी लिव-इन रिलेशनशिप का चलन समाज में तेजी से बढ़ा है। और अब तो अदालत ने भी इसे मान्यता दे दी है। साथ ही कानून में यह भी प्रावधान है कि लिव-इन रिलेशनशिप में रहने के दौरान यदि कोई संतान पैदा होती है तो वह अपने जैविक माता-पिता की संपत्ति वगैरह में किसी जायज औलाद की तरह ही हकदार होगी। और हिंदू विवाह अधिनियम की धारा-16 के मुताबिक लिव-इन में रहने के दौरान पैदा होने वाले बच्चे अपने माता-पिता से गुजारा-भत्ता मांगने का वाद भी दायर कर सकते हैं।

दरअसल सुप्रीम कोर्ट और विभिन्न अदालतों ने समय-समय पर जो फैसले दिये उससे अब लिव-इन रिलेशनशिप पूरी तरह वैध हो गया है। इस संबंध में बहुचर्चित इंद्रा शर्मा बनाम वीकेवी शर्मा मामले में शीर्ष अदालत ने अपनी टिप्पणी में कहा था कि लिव-इन-रिलेशनशिप में रहना न तो कोई अपराध है और न ही पाप। शादी करने और यौन-संबंध बनाने का फैसला पूरी तरह से निजी है। लिहाज़ा 18 की उम्र के बाद लड़कियां और 21 वर्ष आयु के बाद लड़के लिव-इन-रिलेशनशिप में रह सकते हैं। हालांकि सुप्रीम कोर्ट ने यह भी कहा कि वह 'आया और गया' वाले रिश्तों को लिव-इन-रिलेशनशिप के तहत नहीं मानता। यानी इसके लिये किसी जोड़े के लिये कम से कम कुछ दिनों तक लगातार रहना ज़ुरूरी है। यह नहीं कि बीच-बीच में कुछेक दिनों के लिये मिलते रहें और उसे लिव-इन-रिलेशनशिप का नाम दें।

लिव-इन-रिलेशनशिप को वैधता देने के बाद अप्रैल 2014 में सुप्रीम कोर्ट ने लिव-इन में रहने के दौरान पैदा होने वाली संतानों को भी जायज करार दिया। शीर्ष अदालत ने साफ कहा कि अगर कोई महिला और पुरुष एक लंबे समय तक साथ-साथ रहते हैं और इस रिश्ते से कोई बच्चा होता है, तो कानून उन्हें शादीशुदा मानते हुये उस बच्चे को पूरी तरह इस दंपत्ति की जायज संतान मानेगा। सुप्रीम कोर्ट की न्यायाधीश जे. चेलमेश्वर और बी. एस. चौहान वाली पीठ ने यह स्पष्टीकरण एडवोकेट उदय गुप्ता की एक याचिका पर दिया।

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एडवोकेट गुप्ता ने मद्रास उच्च न्यायालय द्वारा की गई लिव-इन मामले से संबंधित एक व्यापक टिप्पणी पर सवाल उठाते हुये सुप्रीम कोर्ट में यह याचिका दाखिल की थी। मद्रास उच्च न्यायालय ने अपनी इस टिप्पणी में कहा था कि 'एक वैध शादी के लिये यह जरूरी नहीं है कि शादीशुदा जोड़ों से संबंधित सभी पारंपरिक कर्तव्यों का पालन किया जाय और उसे संपन्न किया जाय।' इस पर उनके काउंसल एम. आर. काला ने ऐतराज़ जताते हुये हाईकोर्ट की इस टिप्पणी को खारिज़ किये जाने की मांग की। उनके मुताबिक न्यायालय की ऐसी टिप्पणी से समाज में शादी की बहुप्रचलित व्यवस्था अस्त-व्यस्त और नष्ट भी हो सकती है।

इस पर शीर्ष अदालत की बेंच ने मद्रास हाईकोर्ट के उक्त फैसले का गहन अध्ययन करने के बाद अपनी राय दी। कोर्ट ने कहा कि हाईकोर्ट की यह टिप्पणी केवल लिव-इन-रिलेशनशिप के मामलों तक ही सीमित रहेगी और इसे सभी केसों में एक मिसाल के तौर पर नहीं लिया जा सकता। जस्टिस चौहान और चेलमेश्वर की पीठ ने साफ किया कि 'वास्तव में हाईकोर्ट यह कहना चाहती थी कि अगर एक पुरुष और महिला लंबे समय से बिना शादी किये भी पति-पत्नी की तरह साथ-साथ रह रहे हैं तो इसे शादी ही माना जायेगा। और इस दौरान पैदा हुये उनके बच्चों को नाजायज करार नहीं दिया जा सकता।

इस तरह साफ है कि अगर लिव-इन-रिलेशनशिप में रहने के दौरान कोई संतान पैदा होती है तो वह कानूनन पूरी तरह जायज होती है। जो अपने जैविक माता-पिता से बाकायदा गुजारा भत्ता भी मांग सकती है और एक शादीशुदा दंपत्ति से होने वाली जायज औलाद की तरह ही उत्तराधिकार संबंधी अपने अधिकारों का दावा भी कर सकती है।

और पढे- लिव इन रिलेशनशिप मे रहने के फायदे और नुक्सान क्या है


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आज कल के लड़के लड़कियां लव इन रिलेशनशिप मे रहना बहुत पसंद करते है, लेकिन वही नजदीकयां बढ़ने लगे दोनों के बीच तो गलती से लड़की प्रेग्नेंट हो जाती है, उसके पेट बेबी आ जाता है, तो आज कल के लडके उस समय वह नहीं चाहते कि बेबी इस दुनिया मे आये इसलिए वह लड़कियो को मिसोप्रस्टोल टेबलेट खिला देते है, जिससे लड़की का ओबॉसन हो जाता है। लेकिन यह गलत है यदि लड़का लड़की लव इन रिलेशनशिप रहने पर बेबी आ जाता है, तो तुरंत दोनों को अपने पेरेंट्स से बात करके शादी कर लेना चाहिए, क्योंकि ओबॉसन करवाने से कई बार दोबारा प्रेग्नेंसी मे लड़की को बहुत सी दिक्क़तो का सामना करना पड़ सकता है।

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लिव इन रिलेशनशिप आज मॉडर्न युग का एक अनूठा रिश्ता है जिसमें शादी की पुरानी मान्यताओं को दरकिनार करते हुए शादी के जोड़े की तरह एक साथ रहते हैं और जब चाहे तो वे एक दूसरे से अलग रह सकते हैं। और यहां पर प्रश्न यह है कि यदि आप लिव इन रिलेशनशिप में रहते हैं तो बेबी हो जाए तो क्या करना चाहिए? अगर लिव इन रिलेशनशिप में रहते हुए बेबी हो जाए तो इसमें घबराने की कोई बात नहीं होती है क्योंकि यह तो निश्चित ही है कि अगर एक साथ लड़का और लड़की एक छत के नीचे रहेंगे तो बेबी होना तो निश्चित होता है इसलिए हमें उस बेबी कि अच्छे से देखभाल करनी चाहिए और उसे इस दुनिया में लाकर उसे माता और पिता दोनों का प्यार मिलना चाहिए।Letsdiskuss


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