जब भी क्रिकेट विश्वकप की याद आती तो साल 2011 का महेंद्र सिंह धोनी के नेतृत्व में जीतने वाला फाइनल मुकाबला भुलाया नहीं जा सकता | श्रीलंका के खिलाफ फाइनल खेले गये मैच में भले ही लोग सबसे ज्यादा धोनी को क्रेडिट देते हैं, लेकिन बैटिंग में सबसे अहम योगदान गौतम गंभीर ने दिया था | उन्होंने इस फाइनल मैच में कुल 122 गेंदों पर महत्वपूर्ण 97 रनों की पारी खेली थी | 2 अप्रैल का वह दिन भारतीय क्रिकेट इतिहास में सुनहरा हो गया | गौतम गंभीर ने फाइनल के उस मुकाबले में उस वक्त आए, जब वीरेंद्र सहवाग, सचिन तेंदुलकर और विराट कोहली जैसे बड़े नाम आउट होकर पवेलियन लौट गये |
मुंबई के वानखेड़े स्टेडियम में खेले गये मुकाबले में गौतम गंभीर ने महेंद्र सिंह धोनी के साथ 109 रनों महत्वपूर्ण साझेदारी करके टीम को जीत के बेहद करीब पहुंचाया | पिछले साल 2017 में हुए एक इंटरव्यू गंभीर ने अपनी पुरानी यादें ताजा करते हुए कई बाते शेयर की थी | गंभीर ने बताया था कि लसिथ मलिंगा की पहली गेंद पर मैंने चौका मारा था | कई बार आप इस तरह की शुरुआत के बाद राहत महसूस करते हैं | वह घबराहट इसलिए थी क्योंकि वह एक अंतरराष्ट्रीय मैच था ना कि इसलिए कि वह वर्ल्ड कप फाइनल था |
गंभीर ने अपनी आगे की बात बताई कि वह जीत एक-दो खिलाड़ियों के कारण नहीं थी बल्कि ड्रेसिंग रूप में मौजूद उन सभी लोगों के कारण थी जिन्हें जीत पर विश्वास था | अपने घर में वर्ल्ड कप का फाइनल खेल रहे होते हैं, इससे बड़ा मंच आपके लिए कुछ नहीं हो सकता | मैं नहीं जानता कि ऐसा मौका दोबारा वापस मिलेगा या नहीं |